"मेरा इतिहास नहीं है / गोपालदास "नीरज"" के अवतरणों में अंतर
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− | और अधिक आजाद अछूती हस्ती किसकी, | + | और अधिक आजाद अछूती हस्ती किसकी, |
− | मेरी बुलबुल चहका करती उस बगिया में, | + | मेरी बुलबुल चहका करती उस बगिया में, |
− | जहाँ सदा पतझर, आता मधुमास नहीं है! | + | जहाँ सदा पतझर, आता मधुमास नहीं है! |
− | काल बादलों से......! | + | काल बादलों से......! |
− | किसमें इतनी शक्ति साथ जो कदम धर सके, | + | किसमें इतनी शक्ति साथ जो कदम धर सके, |
− | गति न पवन की भी जो मुझसे होड़ कर सके, | + | गति न पवन की भी जो मुझसे होड़ कर सके, |
− | मैं ऐसे पथ का पंथी हूँ जिसको क्षण भर, | + | मैं ऐसे पथ का पंथी हूँ जिसको क्षण भर, |
− | मंजिल पर भी रुकने का अवकाश नहीं है! | + | मंजिल पर भी रुकने का अवकाश नहीं है! |
− | काल बादलों से......! | + | काल बादलों से......! |
− | कौन विश्व में है जिसका मुझसे सिर ऊँचा? | + | कौन विश्व में है जिसका मुझसे सिर ऊँचा? |
− | अभ्रंकष यह तुंग हिमालय भी तो नीचा, | + | अभ्रंकष यह तुंग हिमालय भी तो नीचा, |
− | क्योंकि खुले हैं मेरे लोचन उस दुनिया में, | + | क्योंकि खुले हैं मेरे लोचन उस दुनिया में, |
− | जहाँ धरा तो है लेकिन आकाश नहीं है! | + | जहाँ धरा तो है लेकिन आकाश नहीं है! |
काल बादलों से......! | काल बादलों से......! | ||
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11:32, 6 मार्च 2014 के समय का अवतरण
काल बादलों से धुल जाए वह मेरा इतिहास नहीं है!
गायक जग में कौन गीत जो मुझ सा गाए,
मैंने तो केवल हैं ऐसे गीत बनाए,
कंठ नहीं, गाती हैं जिनको पलकें गीली,
स्वर-सम जिनका अश्रु-मोतिया, हास नहीं है!
काल बादलों से......!
मुझसे ज्यादा मस्त जगत में मस्ती जिसकी,
और अधिक आजाद अछूती हस्ती किसकी,
मेरी बुलबुल चहका करती उस बगिया में,
जहाँ सदा पतझर, आता मधुमास नहीं है!
काल बादलों से......!
किसमें इतनी शक्ति साथ जो कदम धर सके,
गति न पवन की भी जो मुझसे होड़ कर सके,
मैं ऐसे पथ का पंथी हूँ जिसको क्षण भर,
मंजिल पर भी रुकने का अवकाश नहीं है!
काल बादलों से......!
कौन विश्व में है जिसका मुझसे सिर ऊँचा?
अभ्रंकष यह तुंग हिमालय भी तो नीचा,
क्योंकि खुले हैं मेरे लोचन उस दुनिया में,
जहाँ धरा तो है लेकिन आकाश नहीं है!
काल बादलों से......!