भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अब आए या न आए / साहिर लुधियानवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=साहिर लुधियानवी |संग्रह= }} अब आए या न आए इधर पूछते चलो ...) |
|||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
::हम से अगर है तर्क-ए-ताल्लुक़ तो क्या हुआ | ::हम से अगर है तर्क-ए-ताल्लुक़ तो क्या हुआ | ||
− | + | ::यारो ! कोई तो उनकी ख़बर पूछते चलो | |
02:52, 25 नवम्बर 2007 का अवतरण
अब आए या न आए इधर पूछते चलो
क्या चाहती है उनकी नज़र पूछते चलो
- हम से अगर है तर्क-ए-ताल्लुक़ तो क्या हुआ
- यारो ! कोई तो उनकी ख़बर पूछते चलो
जो ख़ुद को कह रहे हैं कि मंज़िल शनास हैं
उनको भी क्या ख़बर है मगर पूछते चलो
- किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं हम
- ऎ रहरवान-ए-ख़ाक बसर पूछते चलो