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"हिलकोरने लगता / प्रेमशंकर रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर

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एड़ी से भाल तक
 
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अब न तो किसी से
 
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खिलने की विधि पूछना है
 
खिलने की विधि पूछना है

00:44, 12 मार्च 2014 के समय का अवतरण

हरियाली का महासागर पोर-पोर
और आकाश का विस्तार समाए
एड़ी से भाल तक
तुम ही होतीं ओर-छोर

अब न तो किसी से
खिलने की विधि पूछना है
न हवा से बूँदा-बाँदी
और ना ही
किरणों से आँख-मिचौनी मुझे !