भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दम / हरिऔध" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) छो (Sharda suman moved page दम to दम / हरिऔध) |
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | क्यों लिया यह न सोच पहले ही। | |
− | + | ||
आप तुम बारहा बने यम हो। | आप तुम बारहा बने यम हो। | ||
− | |||
हैं खटकते तुम्हें किये अपने। | हैं खटकते तुम्हें किये अपने। | ||
− | |||
क्या अटकते इसी लिए दम हो। | क्या अटकते इसी लिए दम हो। | ||
</poem> | </poem> |
11:14, 19 मार्च 2014 के समय का अवतरण
क्यों लिया यह न सोच पहले ही।
आप तुम बारहा बने यम हो।
हैं खटकते तुम्हें किये अपने।
क्या अटकते इसी लिए दम हो।