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"सिरधारे या सिरफिरे / हरिऔध" के अवतरणों में अंतर
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− | + | लुट गया कोई बला से लुट गया। | |
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है सुधारों की वहाँ पर आस क्या। | है सुधारों की वहाँ पर आस क्या। | ||
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हो जहाँ पर सिरधारों का सिर फिरा। | हो जहाँ पर सिरधारों का सिर फिरा। | ||
बढ़ गये मान भूख तंग बने। | बढ़ गये मान भूख तंग बने। | ||
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आप का रह गया न वह चेहरा। | आप का रह गया न वह चेहरा। | ||
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देखिये अब उतर न जाय कहीं। | देखिये अब उतर न जाय कहीं। | ||
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आप के सिर बँधा सुजस सेहरा। | आप के सिर बँधा सुजस सेहरा। | ||
− | तब भला | + | तब भला कैसे न हम मिट जायँगे। |
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फिर गये सिर जब हमारे सिर धारे। | फिर गये सिर जब हमारे सिर धारे। | ||
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बात बे-सिर-पैर की कहने लगें। | बात बे-सिर-पैर की कहने लगें। | ||
हैं हमारे पंथ जो प्यारे बड़े। | हैं हमारे पंथ जो प्यारे बड़े। | ||
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हैं बुरे काँटे उन्हीं में वो रहे। | हैं बुरे काँटे उन्हीं में वो रहे। | ||
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देख कर के सिरधारों का सिर फिरा। | देख कर के सिरधारों का सिर फिरा। | ||
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हैं कलेजा थाम कर हम रो रहे। | हैं कलेजा थाम कर हम रो रहे। | ||
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18:19, 23 मार्च 2014 के समय का अवतरण
लुट गया कोई बला से लुट गया।
कुछ नहीं तो गाँठ का उनकी गिरा।
है सुधारों की वहाँ पर आस क्या।
हो जहाँ पर सिरधारों का सिर फिरा।
बढ़ गये मान भूख तंग बने।
आप का रह गया न वह चेहरा।
देखिये अब उतर न जाय कहीं।
आप के सिर बँधा सुजस सेहरा।
तब भला कैसे न हम मिट जायँगे।
मनचले कैसे न तब हम को ठगें।
फिर गये सिर जब हमारे सिर धारे।
बात बे-सिर-पैर की कहने लगें।
हैं हमारे पंथ जो प्यारे बड़े।
हैं बुरे काँटे उन्हीं में वो रहे।
देख कर के सिरधारों का सिर फिरा।
हैं कलेजा थाम कर हम रो रहे।