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"शामिल तू मिरे जिस्म मैं साँसों की तरह है/ रईस सिद्दीक़ी" के अवतरणों में अंतर
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शामिल तू मिरे जिस्म मैं साँसों की तरह है | शामिल तू मिरे जिस्म मैं साँसों की तरह है |
08:28, 29 मार्च 2014 के समय का अवतरण
शामिल तू मिरे जिस्म मैं साँसों की तरह है
ये याद भी सूखे हुए फूलों की तरह है
दिल जिस का नहीं हर्फ़-ए-मोहब्बत से शनासा
वो ज़िंदगी वीरान मज़ारों की तरह है
फ़ितरत में है दौलत के खिलौनों से बहलना
इक दोस्त मिरा शहर में बच्चों की तर है
हर रात चराग़ाँ सा रहा करता है घर में
इक ज़ख़्म मिरे दिल में सितारों की तरह है
मत खोलियो मुझ पर कभी एहसाँ के दरीचे
ग़ैरत मुझे प्यारी तिरी यादों की तरह है
पत्थर सदा ज़िल्लत के तआकुब में रहेंगे
कोताही-ए-गुफ़्तार गुनाहों की तरह है