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"मात देना नहीं जानतीं / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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घर की फुटन में पड़ी औरतें
 
घर की फुटन में पड़ी औरतें

10:46, 1 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

घर की फुटन में पड़ी औरतें
ज़िन्दगी काटती हैं
मर्द की मौह्ब्बत में मिला
काल का काला नमक चाटती हैं

जीती ज़रूर हैं
जीना नहीं जानतीं;
मात खातीं-
मात देना नहीं जानतीं