भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मशाल का बेटा धुआँ / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल | |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल | ||
− | |संग्रह=फूल नहीं रंग बोलते हैं | + | |संग्रह=फूल नहीं रंग बोलते हैं / केदारनाथ अग्रवाल |
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
मशाल का बेटा धुआँ, | मशाल का बेटा धुआँ, | ||
− | |||
:::गर्व से गगन में गया, | :::गर्व से गगन में गया, | ||
− | |||
शून्य में खोया | शून्य में खोया | ||
− | + | कोई नहीं रोया। | |
− | कोई नहीं | + | |
− | + | ||
मशाल की बेटी आग | मशाल की बेटी आग | ||
− | |||
:::यहीं धरती पर रही, | :::यहीं धरती पर रही, | ||
− | |||
चूल्हे में आई | चूल्हे में आई | ||
− | + | नसों में समाई। | |
− | नसों में | + | </poem> |
11:50, 1 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
मशाल का बेटा धुआँ,
गर्व से गगन में गया,
शून्य में खोया
कोई नहीं रोया।
मशाल की बेटी आग
यहीं धरती पर रही,
चूल्हे में आई
नसों में समाई।