भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मिस्टर के की दुनिया: पेड़ और बम-२ / गिरिराज किराडू" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरिराज किराडू |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:10, 2 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

सब कुछ अभिनय हो सकता था
लेकिन किसी दुकान के शटर से किसी कब्र की मिटटी से किसी दुस्स्वप्न के झरोखे से
खून के निशान पूरी तरह मिटाये नहीं जा सकते थे

खून के निशान हत्या करने के अभिनय को हत्या करने से फ़र्क कर देते हैं