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"मिस्टर के की दुनिया: पेड़ और बम-५ / गिरिराज किराडू" के अवतरणों में अंतर

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12:15, 2 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

उसे रोज याद दिलाने पड़ते हैं
कवि के कर्तव्य
कवि भाषा में नहीं
उसकी शर्म में रहता है