भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बच्चे-2 / देवयानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवयानी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:07, 9 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

उसने अपनी उँगलियों के पोरों को
डुबोया हरे रंग मे
और
खींच दी हैं लकीरें
हृदय पर

उसने गाढ़े नीले से
रंग दिया है फलक को

सुर्ख लाल रंग को
बिखेर दिया है उसने
घर के आँगन मे

पीले फूलों से ढक दिया है उसने
आस पास की वनस्पतियों को
उसे हर बार चाहिए
नया सफैद कागज
जिसे हर बार
सराबोर कर देना चाह्ता है वह रंगों से

बच्चा रंगरेज़