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"उड़ गए बालो-पर उड़ानों में / देवी नांगरानी" के अवतरणों में अंतर
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सर पटकते हैं आशियानों में| | सर पटकते हैं आशियानों में| | ||
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शिद्दतें चाहिये तरानों में| | शिद्दतें चाहिये तरानों में| | ||
− | नज़रे बाज़ार हो गए रिश्ते | + | नज़रे बाज़ार हो गए रिश्ते |
घर बदलने लगे दुकानों में| | घर बदलने लगे दुकानों में| | ||
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लोग जीते हैं किन गुमानों में| | लोग जीते हैं किन गुमानों में| | ||
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नक्श छोड़े हैं आसमानों में| | नक्श छोड़े हैं आसमानों में| | ||
− | + | वलवले सो गए जवानी के | |
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जोश बाक़ी नहीं जवानों में| | जोश बाक़ी नहीं जवानों में| | ||
− | + | बढ़ गए स्वार्थ इस क़दर ‘देवी’ | |
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एक घर बंट गया घरानों में| | एक घर बंट गया घरानों में| | ||
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11:24, 11 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
उड़ गए बालो-पर उड़ानों में
सर पटकते हैं आशियानों में|
जल उठेंगे चराग़ पल भर में
शिद्दतें चाहिये तरानों में|
नज़रे बाज़ार हो गए रिश्ते
घर बदलने लगे दुकानों में|
धर्म के नाम पर हुआ पाखंड
लोग जीते हैं किन गुमानों में|
कट गए बालो-पर, मगर हमने
नक्श छोड़े हैं आसमानों में|
वलवले सो गए जवानी के
जोश बाक़ी नहीं जवानों में|
बढ़ गए स्वार्थ इस क़दर ‘देवी’
एक घर बंट गया घरानों में|