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− | + | तुम सामने आते हो पहलू बदल-बदल कर | |
− | + | बिजली-सी गिराते हो पहलू बदल-बदल कर | |
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− | + | इस आइने में देखूँ - उस आइने में देखूँ | |
− | + | कुछ राज़ छिपाते हो पहलू बदल-बदल कर | |
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− | + | पहलू बदल-बदल कर इक़रार-ए-इश्क़ कैसा | |
− | + | उँगली पे' नचाते हो, पहलू बदल-बदल कर | |
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− | + | तुमको ही रिझाने को, ये सारी ग़ज़लगोई | |
− | + | हर शे'र में आते हो, पहलू बदल-बदल कर | |
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− | + | इर्शाद-ओ-मुक़र्रर की उम्मीद कौन बाँधे | |
− | + | जब शमअ हटाते हो, पहलू बदल-बदल कर | |
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− | + | (रचनाकाल : 2003) | |
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22:16, 18 अप्रैल 2014 का अवतरण
तुम सामने आते हो पहलू बदल बदल कर
रचनाकार: सुरेश सलिल
तुम सामने आते हो पहलू बदल-बदल कर बिजली-सी गिराते हो पहलू बदल-बदल कर
इस आइने में देखूँ - उस आइने में देखूँ कुछ राज़ छिपाते हो पहलू बदल-बदल कर
पहलू बदल-बदल कर इक़रार-ए-इश्क़ कैसा उँगली पे' नचाते हो, पहलू बदल-बदल कर
तुमको ही रिझाने को, ये सारी ग़ज़लगोई हर शे'र में आते हो, पहलू बदल-बदल कर
इर्शाद-ओ-मुक़र्रर की उम्मीद कौन बाँधे जब शमअ हटाते हो, पहलू बदल-बदल कर
(रचनाकाल : 2003)