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"अपने भरोसे से / विपिन चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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12:30, 22 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
दुःख टकसाल में कुछ और पकने गया था
सुख से कल रात ही तेज झगड़ा हुआ
प्यास को अपना ही होश नहीं रहा
हवा की कौन कहे,
उसका मिजाज ही कई दिशाओं में गुम है
अब मेरे आस-पास
कोई नहीं
अपने भरोसे को पीठ पर लाद कर चल रही हूँ
कभी तेज कभी धीरे