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"नाव, उदासी, जीवन / विपिन चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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हलकी नीली लहरों पर सवार खाली
नाव को दूर जाते हुए देख
मुझे अपनी उदासी बेतरह याद आने लगी
दूर चली जाने वाली चीजों से उदासी यूँ न गुंथी होती
तो जीवन हरा होते-होते यूँ न रह जाता