भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कोई किसी का हाले दिल मुड़कर / तारा सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तारा सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:16, 29 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
कोई किसी का हाले दिल मुड़कर पूछता नहीं
जो जाता यहाँ से, कभी लौटकर आता नहीं
भरी महफ़िल में मेरे प्यार को जिस कदर
बे-आबरू किया, ऐसा कोई बुलाकर करता नहीं
जहाँ कुछ लोग वफ़ा करके भी शर्माते हैं
वहीं ज़फ़ा करने वाला ज़फ़कार शर्माता नहीं
अपनी बेताबी बढ़ाकर,उसकी कदमों तक को ले
जाता नहीं, आज तनहा दिल बैठकर रोता नहीं
क्यों न चीखूँ किसी को याद कर, मेरी आवाज
को सुनकर कोई क्यों कर आता नहीं