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"कैसे कहूँ दिले हाल अपना / तारा सिंह" के अवतरणों में अंतर
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दुनिया ने दागे-सौदा3 का नजराना दिया है | दुनिया ने दागे-सौदा3 का नजराना दिया है | ||
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तू न किसी का हुआ, न तेरा कोई हो सका | तू न किसी का हुआ, न तेरा कोई हो सका |
17:22, 29 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
कैसे कहूँ दिले हाल अपना, बेरुखी पे तुली
अहले–दुनिया1कहती,तू बात करने काबिल नहीं है
तेरे सीने में जो धड़कता है दिल, वह
दिल तो है, मगर जिन्स-ए-दिल2 नहीं है
दुनिया ने दागे-सौदा3 का नजराना दिया है
तुझको, तू कहता, मेरा दिल इसके काबिल नहीं है
तू न किसी का हुआ, न तेरा कोई हो सका
तू मुसाफ़िर है उस पथ का,जिसकी मंजिल नहीं है
अजल4 तुझको गले लगाकर, कहाँ से कहाँ ले आई
तू कहता,सिवा हसरते5 मुझको कुछ हासिल नहीं है
1. पूरी दुनिया 2. दिल जैसा दिल 3. पागलपन 4. मृत्यु 5. तमन्ना