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"तब तौ छबि पीवत जीवत है / घनानंद" के अवतरणों में अंतर
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19:14, 29 अप्रैल 2014 का अवतरण
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तब तौ छबि पीवत जीवत है अब सोचन लोचन जात जरे
हित-पोष के तोष सुप्राण पले बिललात महादुख दोष भरे.
‘घनआनन्द’ मीत सुजान बिना सबही सुखसाज समाज टरे
तब हार पहाड़ से लागत है अब आनि के बीच पहार परे.