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"क्यूँ चुप-चुप सा खड़ा है दर्द / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

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शायद के कुछ डरा है दर्द   
 
शायद के कुछ डरा है दर्द   
  
यादों की आग में जल के
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यादों की तेज़ आँच  में
हमने कहा के खरा है दर्द  
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जल कर कहा, खरा है दर्द  
  
राह ए वफा में श्रद्धा बस  
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राह--वफा में 'श्रद्धा' बस  
 
देखा, लिखा, पढ़ा है दर्द
 
देखा, लिखा, पढ़ा है दर्द
 
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03:24, 30 अप्रैल 2014 का अवतरण

चुप-चुप सा क्यूँ खड़ा है दर्द
आँखों में जब हरा है दर्द

लोगों से मिलने-जुलने पर
कम होना था, बढ़ा है दर्द

पलकों की छत पे रुकता क्यूँ
शायद के कुछ डरा है दर्द

यादों की तेज़ आँच में
जल कर कहा, खरा है दर्द

राह-ए-वफा में 'श्रद्धा' बस
देखा, लिखा, पढ़ा है दर्द