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17:30, 30 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

डोरियों से उतार लाई मैं
आज की थकान
अब मोड़तोड़ कर रखने होंगे कपड़े

कल फिर इन पर
सूखने टंग जायेगी
एक और सुबह...