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"मेरी ज़ुबाँ से मेरी दास्ताँ / सुदर्शन फ़ाकिर" के अवतरणों में अंतर

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मेरी ज़ुबाँ से मेरी दास्ताँ सुनो तो सही
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यक़ीं करो न करो मेहरबाँ सुनो तो सही
  
मेरी ज़ुबाँ से मेरी दास्ताँ सुनो तो सही <br>
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चलो ये मान लिया मुजरिमे-मोहब्बत हैं
यक़ीं करो न करो मेहरबाँ सुनो तो सही <br><br>
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हमारे जुर्म का हमसे बयाँ सुनो तो सही  
  
चलो ये मान लिया मुजरिमे-मोहब्बत हैं <br>
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बनोगे दोस्त मेरे तुम भी दुश्मनों एक दिन
हमारे जुर्म का हमसे बयाँ सुनो तो सही <br><br>
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मेरी हयात की आह-ओ-फ़ुग़ाँ सुनो तो सही  
  
बनोगे दोस्त मेरे तुम भी दुश्मनों एक दिन <br>
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लबों को सी के जो बैठे हैं बज़्मे-दुनिया में
मेरी हयात की आह-ओ-फ़ुग़ाँ सुनो तो सही <br><br>
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कभी तो उनकी भी ख़ामोशियाँ सुनो तो सही  
  
लबों को सी के जो बैठे हैं बज़्मे-दुनिया में <br>
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कहोगे वक़्त को मुजरिम भरी बहारों में  
कभी तो उनकी भी ख़ामोशियाँ सुनो तो सही <br><br>
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जला था कैसे मेरा आशियाँ सुनो तो सही  
 
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कहोगे वक़्त को मुजरिम भरी बहारों में <br>
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जला था कैसे मेरा आशियाँ सुनो तो सही <br><br>
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11:25, 7 मई 2014 के समय का अवतरण

 
मेरी ज़ुबाँ से मेरी दास्ताँ सुनो तो सही
यक़ीं करो न करो मेहरबाँ सुनो तो सही

चलो ये मान लिया मुजरिमे-मोहब्बत हैं
हमारे जुर्म का हमसे बयाँ सुनो तो सही

बनोगे दोस्त मेरे तुम भी दुश्मनों एक दिन
मेरी हयात की आह-ओ-फ़ुग़ाँ सुनो तो सही

लबों को सी के जो बैठे हैं बज़्मे-दुनिया में
कभी तो उनकी भी ख़ामोशियाँ सुनो तो सही

कहोगे वक़्त को मुजरिम भरी बहारों में
जला था कैसे मेरा आशियाँ सुनो तो सही