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"उल्फ़त का जब किसी ने / सुदर्शन फ़ाकिर" के अवतरणों में अंतर

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उल्फ़त का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े
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अपनी वफ़ा का सोच के अंजाम रो पड़े
  
उल्फ़त का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े <br>
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हर शाम ये सवाल मुहब्बत से क्या मिला
अपनी वफ़ा का सोच के अंजाम रो पड़े <br><br>
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हर शाम ये जवाब के हर शाम रो पड़े  
  
हर शाम ये सवाल मुहब्बत से क्या मिला <br>
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राह-ए-वफ़ा में हमको ख़ुशी की तलाश थी
हर शाम ये जवाब के हर शाम रो पड़े <br><br>
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दो गाम ही चले थे के हर गाम रो पड़े  
  
राह-ए-वफ़ा में हमको ख़ुशी की तलाश थी <br>
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दो गाम ही चले थे के हर गाम रो पड़े <br><br>
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रोना नसीब में है तो औरों से क्या गिला <br>
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अपने ही सर लिया कोई इल्ज़ाम रो पड़े <br><br>
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11:59, 7 मई 2014 के समय का अवतरण

 उल्फ़त का जब किसी ने लिया नाम रो पड़े
अपनी वफ़ा का सोच के अंजाम रो पड़े

हर शाम ये सवाल मुहब्बत से क्या मिला
हर शाम ये जवाब के हर शाम रो पड़े

राह-ए-वफ़ा में हमको ख़ुशी की तलाश थी
दो गाम ही चले थे के हर गाम रो पड़े

रोना नसीब में है तो औरों से क्या गिला
अपने ही सर लिया कोई इल्ज़ाम रो पड़े