भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हिंदी दिवस / सावित्री नौटियाल काला" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सावित्री नौटियाल काला |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
आवो हिन्दी पखवाड़ा मनाएँ, अपनी भाषा को ऊँचाईओं तक पहुँचाएँ
+
आवो हिन्दी पखवाड़ा मनाएँ, अपनी भाषा को ऊँचाईयों तक पहुँचाएँ
 
हम सब करेंगे हिन्दी में ही राज काज, तभी मिल पायेगा सही सुराज
 
हम सब करेंगे हिन्दी में ही राज काज, तभी मिल पायेगा सही सुराज
 
हिन्दी के सब गुण गावो, अपनी भाषा के प्रति आस्था दर्शाओ  
 
हिन्दी के सब गुण गावो, अपनी भाषा के प्रति आस्था दर्शाओ  
 
जब करेंगे हम सब हिन्दी में बात, नहीं बढ़ेगा तब कोई विवाद|
 
जब करेंगे हम सब हिन्दी में बात, नहीं बढ़ेगा तब कोई विवाद|
  
हिन्दी तो है कविओं की बानी, इसमें पढ़ते नानी की कहानी  
+
हिन्दी तो है कवियों की बानी, इसमें पढ़ते नानी की कहानी  
 
हम सबको है हिन्दी से प्यार, मत करो इस भाषा का तिरस्कार|
 
हम सबको है हिन्दी से प्यार, मत करो इस भाषा का तिरस्कार|
 
हम सब हिन्दी में ही बोलें, अपने मन की कुण्ठा खोजें  
 
हम सब हिन्दी में ही बोलें, अपने मन की कुण्ठा खोजें  
पंक्ति 22: पंक्ति 22:
 
हम राष्ट्रगान हिन्दी में गाते, पूरे विश्व में तिरंगे की शान बढ़ाते|
 
हम राष्ट्रगान हिन्दी में गाते, पूरे विश्व में तिरंगे की शान बढ़ाते|
  
हमारी भाषा ही है हमारे देश की स्वतंत्रता की प्रतिक
+
हमारी भाषा ही है हमारे देश की स्वतंत्रता की प्रतीक
 
यह है संवैधानिक व्यवस्था में सटीक  
 
यह है संवैधानिक व्यवस्था में सटीक  
हम सब भाबनात्मकता में है एक रखते है हम सब इसमे टेक  
+
हम सब भावनात्मकता में है एक रखते है हम सब इसमे टेक  
 
यह विकास की ओर ले जाती सबका है ज्ञान बढ़ाती|
 
यह विकास की ओर ले जाती सबका है ज्ञान बढ़ाती|
  

18:37, 9 मई 2014 का अवतरण

आवो हिन्दी पखवाड़ा मनाएँ, अपनी भाषा को ऊँचाईयों तक पहुँचाएँ
हम सब करेंगे हिन्दी में ही राज काज, तभी मिल पायेगा सही सुराज
हिन्दी के सब गुण गावो, अपनी भाषा के प्रति आस्था दर्शाओ
जब करेंगे हम सब हिन्दी में बात, नहीं बढ़ेगा तब कोई विवाद|

हिन्दी तो है कवियों की बानी, इसमें पढ़ते नानी की कहानी
हम सबको है हिन्दी से प्यार, मत करो इस भाषा का तिरस्कार|
हम सब हिन्दी में ही बोलें, अपने मन की कुण्ठा खोजें
जब बोलेंगे हम हिन्दी में शुद्ध, हमारी भाषा बनेगी समृद्ध|

हिन्दी की लिपि है अत्यंत सरल, मत घोलो इसकी तरलता में गरल
सबके कण्ठ से सस्वर गान कराती, हमारी भारत भारती को चमकाती|
यही हमारी राजभाषा कहलाती, सब भाषाओँ का मान बढाती
हम राष्ट्रगान हिन्दी में गाते, पूरे विश्व में तिरंगे की शान बढ़ाते|

हमारी भाषा ही है हमारे देश की स्वतंत्रता की प्रतीक
यह है संवैधानिक व्यवस्था में सटीक
हम सब भावनात्मकता में है एक रखते है हम सब इसमे टेक
यह विकास की ओर ले जाती सबका है ज्ञान बढ़ाती|

हिन्दी दिवस पर करें हम हिन्दी का अभिनंदन
इसका वंदन ही है माँ भारती का चरण वंदन|