भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ईसुरी की फाग-9 / बुन्देली" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{ KKLokRachna |रचनाकार=ईसुरी }} अब रित आई बसन्त बहारन, पान-फूल-फल डारन हारन-हद...)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
{{
+
{{KKLokRachna
KKLokRachna
+
|रचनाकार=अज्ञात
|रचनाकार=ईसुरी
+
}}
 +
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
 +
|भाषा=बुन्देली
 
}}
 
}}
  

18:25, 13 जुलाई 2008 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अब रित आई बसन्त बहारन, पान-फूल-फल डारन

हारन-हद्द-पहारन-पारन, धाम-धवल-जल-धारन

कपटी कुटिल कन्दरन छाई, गै बैराग बिगारन

चाहत हतीं प्रीत प्यारे की, हा-हा करत हजारन

जिनके कन्त अन्त घर से हैं, तिने देत दुख-दारुन

ईसुर मौर-झोंर के ऊपर, लगे भौंर गुंजारन ।