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"भारत की आरती / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर

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भारत की आरती
 
भारत की आरती
 
 
देश-देश की स्वतंत्रता देवी
 
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आज अमित प्रेम से उतारती ।
 
आज अमित प्रेम से उतारती ।
 
  
 
निकटपूर्व, पूर्व, पूर्व-दक्षिण में
 
निकटपूर्व, पूर्व, पूर्व-दक्षिण में
 
 
जन-गण-मन इस अपूर्व शुभ क्षण में
 
जन-गण-मन इस अपूर्व शुभ क्षण में
 
 
गाते हों घर में हों या रण में
 
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भारत की लोकतंत्र भारती।
भारत की लोकतंत्र भारती ।
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गर्व आज करता है एशिया
 
गर्व आज करता है एशिया
 
 
अरब, चीन, मिस्र, हिंद-एशिया
 
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उत्तर की लोक संघ शक्तियां
 
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युग-युग की आशाएं वारतीं।
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साम्राज्य पूंजी का क्षत होवे
 
साम्राज्य पूंजी का क्षत होवे
 
 
ऊंच-नीच का विधान नत होवे
 
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साधिकार जनता उन्नत होवे
 
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जो समाजवाद जय पुकारती।
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जन का विश्वास ही हिमालय है
 
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भारत का जन-मन ही गंगा है
 
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हिन्द महासागर लोकाशय है
 
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यही शक्ति सत्य को उभारती।
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यह किसान कमकर की भूमि है
 
यह किसान कमकर की भूमि है
 
 
पावन बलिदानों की भूमि है
 
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भव के अरमानों की भूमि है
 
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मानव इतिहास को संवारती।
मानव इतिहास को संवारती ।
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(15 अगस्त 1947 को विरचित,'कुछ कवितायें'नामक कविता-संग्रह से )
 
(15 अगस्त 1947 को विरचित,'कुछ कवितायें'नामक कविता-संग्रह से )

09:34, 12 मई 2014 के समय का अवतरण

भारत की आरती
देश-देश की स्वतंत्रता देवी
आज अमित प्रेम से उतारती ।

निकटपूर्व, पूर्व, पूर्व-दक्षिण में
जन-गण-मन इस अपूर्व शुभ क्षण में
गाते हों घर में हों या रण में
भारत की लोकतंत्र भारती।

गर्व आज करता है एशिया
अरब, चीन, मिस्र, हिंद-एशिया
उत्तर की लोक संघ शक्तियां
युग-युग की आशाएं वारतीं।

साम्राज्य पूंजी का क्षत होवे
ऊंच-नीच का विधान नत होवे
साधिकार जनता उन्नत होवे
जो समाजवाद जय पुकारती।

जन का विश्वास ही हिमालय है
भारत का जन-मन ही गंगा है
हिन्द महासागर लोकाशय है
यही शक्ति सत्य को उभारती।

यह किसान कमकर की भूमि है
पावन बलिदानों की भूमि है
भव के अरमानों की भूमि है
मानव इतिहास को संवारती।

(15 अगस्त 1947 को विरचित,'कुछ कवितायें'नामक कविता-संग्रह से )