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(दोहा)
 
(दोहा)
  
कवित कह्यो दोहा कह्यो, तुलै न छप्‍प्‍य छंद ।
+
कवित कह्यो दोहा कह्यो, तुलै न छप्य्।।क छंद।
बिरच्‍या यहै विचार कै, यह बरवैरस कंद ।।1।।
+
बिरच्या् यहै विचार कै, यह बरवैरस कंद।।1।।
  
 
(मंगलाचरण)
 
(मंगलाचरण)
  
बंदौ देवि सरदवा, पद कर जोरि ।
+
बंदौ देवि सरदवा, पद कर जोरि।
बरनत काव्‍य बरैवा, लगै न खोरि ।।2।।
+
बरनत काव्यस बरैवा, लगै न खोरि।।2।।
  
(उत्‍तमा)
+
(उत्त्मा)
  
लखि अपराध पियरवा, नहिं रिस कीन ।
+
लखि अपराध पियरवा, नहिं रिस कीन।
बिहँसत चनन चउकिया, बैठक दीन ।।3।।
+
बिहँसत चनन चउकिया, बैठक दीन।।3।।
  
(मध्‍यमा)
+
(मध्यनमा)
  
बिनुगुन पिय-उर हरवा, उपट्यो हेरि ।
+
बिनुगुन पिय-उर हरवा, उपट्यो हेरि।
चुप ह्वै चित्र पुतरिया, रहि मुख फेरि ।।4।।
+
चुप ह्वै चित्र पुतरिया, रहि मुख फेरि।।4।।
  
 
(अधमा)
 
(अधमा)
  
बेरिहि बेर गुमनवा, जनि करु नारि ।
+
बेरिहि बेर गुमनवा, जनि करु नारि।
 
मानिक औ गजमुकुता, जौ लगि बारि।।5।।
 
मानिक औ गजमुकुता, जौ लगि बारि।।5।।
  
(स्‍वकीया)
+
(स्व कीया)
  
रहत नयन के कोरवा, चितवनि छाय ।
+
रहत नयन के कोरवा, चितवनि छाय।
चलत न पग-पैजनियॉं, मग अहटाय ।।6।।
+
चलत न पग-पैजनियॉं, मग अहटाय।।6।।
  
(मुग्‍धा)
+
(मुग्धाम)
  
लहरत लहर लहरिया, लहर बहार ।
+
लहरत लहर लहरिया, लहर बहार।
मोतिन जरी किनरिया, बिथुरे बार ।।7।।
+
मोतिन जरी किनरिया, बिथुरे बार।।7।।
  
लागे आन नवेलियहि, मनसिज बान ।
+
लागे आन नवेलियहि, मनसिज बान।
उसकन लाग उरोजवा दृग तिरछान ।।8।।
+
उसकन लाग उरोजवा दृग तिरछान।।8।।
  
 
(अज्ञातयौवना)
 
(अज्ञातयौवना)
  
कवन रोग दुहुँ छतिया, उपजे आय ।
+
कवन रोग दुहुँ छतिया, उपजे आय।
दुखि दुखि उठै करेजवा, लगि जनु जाय ।।9।।
+
दुखि दुखि उठै करेजवा, लगि जनु जाय।।9।।
  
 
(ज्ञातयौवना)
 
(ज्ञातयौवना)
  
औचक आइ जोबनवाँ, मोहि दुख दीन ।
+
औचक आइ जोबनवाँ, मोहि दुख दीन।
छुटिगो संग गोइअवॉं नहि भल कीन ।।10।।
+
छुटिगो संग गोइअवॉं नहि भल कीन।।10।।
  
 
(नवोढ़ा)
 
(नवोढ़ा)
  
पहिरति चूनि चुनरिया, भूषन भाव ।
+
पहिरति चूनि चुनरिया, भूषन भाव।
नैननि देत कजरवा, फूलनि चाव ।।11।।
+
नैननि देत कजरवा, फूलनि चाव।।11।।
  
(विश्रब्‍ध नवोढ़ा)
+
(विश्रब्धर नवोढ़ा)
  
जंघन जोरत गोरिया, करत कठोर ।
+
जंघन जोरत गोरिया, करत कठोर।
छुअन न पावै पियवा, कहुँ कुच-कोर ।।12।।
+
छुअन न पावै पियवा, कहुँ कुच-कोर।।12।।
  
(मध्‍यमा)
+
(मध्यतमा)
  
ढीलि आँख जल अँचवत, तरुनि सुभाय ।
+
ढीलि आँख जल अँचवत, तरुनि सुभाय।
धरि खसिकाइ घइलना, मुरि मुसुकाय ।।13।।
+
धरि खसिकाइ घइलना, मुरि मुसुकाय।।13।।
  
 
(प्रौढ़ रतिप्रीता)
 
(प्रौढ़ रतिप्रीता)
  
भोरहि बोलि कोइलिया, बढ़वति ताप ।
+
भोरहि बोलि कोइलिया, बढ़वति ताप।
घरी एक घरि अलवा, रह चुपचाप ।।14।।
+
घरी एक घरि अलवा, रह चुपचाप।।14।।
  
 
(परकीया)
 
(परकीया)
  
सुनि सुनि कान मुरलिया, रागन भेद ।
+
सुनि सुनि कान मुरलिया, रागन भेद।
गैल न छाँड़त गोरिया, गनत न खेद ।।15।।
+
गैल न छाँड़त गोरिया, गनत न खेद।।15।।
  
 
(ऊढ़ा)
 
(ऊढ़ा)
  
निसु दिन सासु ननदिया, मुहि घर हेर ।
+
निसु दिन सासु ननदिया, मुहि घर हेर।
सुनन न देत मुरलिया मधुरी टेर ।।161।
+
सुनन न देत मुरलिया मधुरी टेर।।161।
  
 
(अनूढ़ा)
 
(अनूढ़ा)
  
मोहि बर जोग कन्‍हैया लागौं पाय ।
+
मोहि बर जोग कन्हैाया लागौं पाय।
तुहु कुल पूज देवतवा, होहु सहाय ।।17।।
+
तुहु कुल पूज देवतवा, होहु सहाय।।17।।
  
 
(भूत सुरति-संगोपना)
 
(भूत सुरति-संगोपना)
  
चूनत फूल गुलबवा डार कटील ।
+
चूनत फूल गुलबवा डार कटील।
टुटिगा बंद अँगियवा, फटि पट नील ।।18।।
+
टुटिगा बंद अँगियवा, फटि पट नील।।18।।
  
आयेसि कवनेउ ओरवा, सुगना सार ।
+
आयेसि कवनेउ ओरवा, सुगना सार।
परिगा दाग अधरवा, चोंच चोटार ।।19।।
+
परिगा दाग अधरवा, चोंच चोटार।।19।।
  
 
(वर्तमान सुरति-गोपना)
 
(वर्तमान सुरति-गोपना)
  
मं पठयेउ जिहि मकवॉं, आयेस साध ।
+
मं पठयेउ जिहि मकवॉं, आयेस साध।
छुटिगा सीस को जुरवा, कसि के बाँध ।।20।।
+
छुटिगा सीस को जुरवा, कसि के बाँध।।20।।
  
मुहि तुहि हरबर आवत, भा पथ खेद ।
+
मुहि तुहि हरबर आवत, भा पथ खेद।
रहि रहि लेत उससवा, बहत प्रसेद ।।21।।
+
रहि रहि लेत उससवा, बहत प्रसेद।।21।।
  
(भविष्‍य सुरति-गोपनान)
+
(भविष्यत सुरति-गोपनान)
  
होइ कत आइ बदरिया, बरखहि पाथ ।
+
होइ कत आइ बदरिया, बरखहि पाथ।
जैहौं घन अमरैया, सुगना सा‍थ ।।22।।
+
जैहौं घन अमरैया, सुगना सा‍थ।।22।।
  
जैहौं चुनन कुसुमियॉं, खेत ब‍डि दूर ।
+
जैहौं चुनन कुसुमियॉं, खेत बडिे दूर।
नौआ केर छोहरिया, मुहि सँग कूर ।।23।।
+
नौआ केर छोहरिया, मुहि सँग कूर।।23।।
  
(क्रिया-विदग्‍धा)
+
(क्रिया-विदग्धान)
  
बाहिर लैके दियवा, बारन जाय ।
+
बाहिर लैके दियवा, बारन जाय।
सासु ननद ढिग पहुँचत, देत बुझाय ।।24।।
+
सासु ननद ढिग पहुँचत, देत बुझाय।।24।।
  
(वचन-विदग्‍धा)
+
(वचन-विदग्धाग)
  
तनिक सी नाक नथुनिया, मित हित नीक ।
+
तनिक सी नाक नथुनिया, मित हित नीक।
क‍हति नाक पहिरावहु, चित दै सींक ।।25।।
+
कहिति नाक पहिरावहु, चित दै सींक।।25।।
  
 
(लक्षिता)
 
(लक्षिता)
  
आजु नैन के कजरा, औरे भाँत ।
+
आजु नैन के कजरा, औरे भाँत।
नागर नहे नवेलिया, सुदिने जात ।।26।।
+
नागर नहे नवेलिया, सुदिने जात।।26।।
  
(अन्‍य-सुरति-दु:खिता)
+
(अन्य -सुरति-दु:खिता)
  
बालम अस मन मिलियउँ, जस पय पानि ।
+
बालम अस मन मिलियउँ, जस पय पानि।
हँसिनि भइल सवतिया, लइ बिलगानि ।।27।।
+
हँसिनि भइल सवतिया, लइ बिलगानि।।27।।
  
 
(संभोग-दु:खिता)
 
(संभोग-दु:खिता)
  
मैं पठयउ जिहि कमवाँ, आयसि साध ।
+
मैं पठयउ जिहि कमवाँ, आयसि साध।
छुटिगो सीस को जुरवा, कसि के बाँधि ।।28।।
+
छुटिगो सीस को जुरवा, कसि के बाँधि।।28।।
  
मुहि तुहि हरबत आवत, भव पथ खेद ।
+
मुहि तुहि हरबत आवत, भव पथ खेद।
रहि रहि लेत उससवा, बहत प्रसेद ।।29।।
+
रहि रहि लेत उससवा, बहत प्रसेद।।29।।
  
 
(प्रेम-गर्विता)
 
(प्रेम-गर्विता)
  
आपुहि देत जवकवा, गूँदत हार ।
+
आपुहि देत जवकवा, गूँदत हार।
चुनि पहिराव चुनरिया, प्रानअधार ।।30।।
+
चुनि पहिराव चुनरिया, प्रानअधार।।30।।
  
अवरन पाय जवकवा, नाइन दीन ।
+
अवरन पाय जवकवा, नाइन दीन।
मुहि पग आगर गोरिया, आनन कीन ।।31।।
+
मुहि पग आगर गोरिया, आनन कीन।।31।।
  
 
(रूप-गर्विता)
 
(रूप-गर्विता)
  
खीन मलिन बिखभैया, औगुन तीन ।
+
खीन मलिन बिखभैया, औगुन तीन।
मोहिं कहत विधुबदनी, पिय मतिहीन ।।32।।
+
मोहिं कहत विधुबदनी, पिय मतिहीन।।32।।
  
दातुल भयसि सुगरुवा, निरस पखान ।
+
दातुल भयसि सुगरुवा, निरस पखान।
यह मधु भरल अधरवा, करसि गुमान ।।33।।
+
यह मधु भरल अधरवा, करसि गुमान।।33।।
  
(प्रथम अनुशयना, भावी-संकेतनष्‍टा)
+
(प्रथम अनुशयना, भावी-संकेतनष्टार)
  
धीरज धरु किन गोरिया करि अनुराग ।
+
धीरज धरु किन गोरिया करि अनुराग।
जात जहाँ पिय देसवा, घन बन बाग ।। 34।।
+
जात जहाँ पिय देसवा, घन बन बाग।। 34।।
  
जनि मरु रोय दुलहिया, कर मन ऊन ।
+
जनि मरु रोय दुलहिया, कर मन ऊन।
सघन कुंज ससुररिया, औ घर सून ।।35।।
+
सघन कुंज ससुररिया, औ घर सून।।35।।
  
 
(द्वितीय अनुशयना, संकेत-विघट्टना)
 
(द्वितीय अनुशयना, संकेत-विघट्टना)
  
जमुना तीर तरुनिअहि लखि भो सूल ।
+
जमुना तीर तरुनिअहि लखि भो सूल।
झरिगो रूख बेइलिया, फुलत न फूल ।।36।।
+
झरिगो रूख बेइलिया, फुलत न फूल।।36।।
  
ग्रीषम दवत दवरिया, कुंज कुटीर ।
+
ग्रीषम दवत दवरिया, कुंज कुटीर।
तिमि तिमि तकत तरुनिअहिं, बाढ़ी पीर ।।37।।
+
तिमि तिमि तकत तरुनिअहिं, बाढ़ी पीर।।37।।
  
 
(तृतीय अनुशयना, रमणगमना)
 
(तृतीय अनुशयना, रमणगमना)
  
मितवा करत बँसुरिया, सुमन सपात ।
+
मितवा करत बँसुरिया, सुमन सपात।
फिरि फिरि तकत तरुनिया, मन पछतात ।।38।।
+
फिरि फिरि तकत तरुनिया, मन पछतात।।38।।
  
मित उत तें फिरि आयेउ, देखु न राम ।
+
मित उत तें फिरि आयेउ, देखु न राम।
मैं न गई अमरैया, लहेउ न काम ।।39।।
+
मैं न गई अमरैया, लहेउ न काम।।39।।
  
 
(मुदिता)
 
(मुदिता)
  
नेवते गइल ननदिया, मैके सासु ।
+
नेवते गइल ननदिया, मैके सासु।
दुलहिनि तोरि ख‍बरिया,आवै आँसु ।।40।।
+
दुलहिनि तोरि खबारिया,आवै आँसु।।40।।
  
जैहौं काल नेवतवा, भा दु:ख दून ।
+
जैहौं काल नेवतवा, भा दु:ख दून।
गॉंव करेसि रखवरिया, सब घर सून ।।41।।
+
गॉंव करेसि रखवरिया, सब घर सून।।41।।
  
 
(कुलटा)
 
(कुलटा)
  
जस मद मातल हथिया, हुमकत जात ।
+
जस मद मातल हथिया, हुमकत जात।
चितवत जात तरुनिया, मन मुसकात ।।42।।
+
चितवत जात तरुनिया, मन मुसकात।।42।।
  
चितवत ऊँच अटरिया, दहिने बाम ।
+
चितवत ऊँच अटरिया, दहिने बाम।
लाखन लखत विछियवा, लखी सकाम ।।43।।
+
लाखन लखत विछियवा, लखी सकाम।।43।।
  
 
(सामान्या गणिका)
 
(सामान्या गणिका)
  
लखि लखि धनिक नयकवा बनवत भेष ।
+
लखि लखि धनिक नयकवा बनवत भेष।
रहि गइ हेरि अरसिया कजरा रेख ।।44।।
+
रहि गइ हेरि अरसिया कजरा रेख।।44।।
  
(मुग्‍धा प्रोषितपतिका)
+
(मुग्धाि प्रोषितपतिका)
  
कासो कहौ सँदेसवा, पिय परदेसु ।
+
कासो कहौ सँदेसवा, पिय परदेसु।
लागेहु चइत न फले तेहि बन टेसु ।।45।।
+
लागेहु चइत न फले तेहि बन टेसु।।45।।
  
(मध्‍या प्रोषितपतिका)
+
(मध्यात प्रोषितपतिका)
  
का तुम जुगुल तिरियवा, झगरति आय ।
+
का तुम जुगुल तिरियवा, झगरति आय।
पिय बिन मनहुँ अटरिया, मुहि न सुहाय ।।46।।
+
पिय बिन मनहुँ अटरिया, मुहि न सुहाय।।46।।
  
 
(प्रौढ़ा प्रोषितपतिका)
 
(प्रौढ़ा प्रोषितपतिका)
  
तैं अब जासि बेइलिया, बरु जरि मूल ।
+
तैं अब जासि बेइलिया, बरु जरि मूल।
बिनु पिय सूल करेजवा, लखि तुअ फूल ।।47।।
+
बिनु पिय सूल करेजवा, लखि तुअ फूल।।47।।
  
या झर में घर घर में, मदन हिलोर ।
+
या झर में घर घर में, मदन हिलोर।
पिय नहिं अपने कर में, करमै खोर ।।48।।
+
पिय नहिं अपने कर में, करमै खोर।।48।।
  
(मुग्‍धा खंडिता)
+
(मुग्धाप खंडिता)
  
सखि सिख मान नवेलिया, कीन्‍हेसि मान ।
+
सखि सिख मान नवेलिया, कीन्हेोसि मान।
पिय बिन कोपभवनवा, ठानेसि ठान ।।49।।
+
पिय बिन कोपभवनवा, ठानेसि ठान।।49।।
  
सीस नवायँ नवेलिया, निचवइ जोय ।
+
सीस नवायँ नवेलिया, निचवइ जोय।
छिति खबि, छोर छिगुरिया, सुसुकति रोय ।।50।।
+
छिति खबि, छोर छिगुरिया, सुसुकति रोय।।50।।
  
गिरि गइ पीय पगरिया, आलस पाइ ।
+
गिरि गइ पीय पगरिया, आलस पाइ।
पवढ़हु जाइ बरोठवा, सेज डसाइ ।।51।।
+
पवढ़हु जाइ बरोठवा, सेज डसाइ।।51।।
  
पोछहु अधर कजरवा, जावक भाल ।
+
पोछहु अधर कजरवा, जावक भाल।
उपजेउ पीतम छतिया, बिनु गुन माल ।।52।।
+
उपजेउ पीतम छतिया, बिनु गुन माल।।52।।
  
 
(प्रौढ़ा खंडिता)
 
(प्रौढ़ा खंडिता)
  
पिय आवत अँगनैया, उठि कै लीन ।
+
पिय आवत अँगनैया, उठि कै लीन।
सा‍थे चतुर तिरियवा, बैठक दीन ।।53।।
+
सा‍थे चतुर तिरियवा, बैठक दीन।।53।।
  
पवढ़हु पीय पलँगिया, मींजहुँ पाय ।
+
पवढ़हु पीय पलँगिया, मींजहुँ पाय।
रैनि जगे कर निंदिया, सब मिटि जाय ।।54।।
+
रैनि जगे कर निंदिया, सब मिटि जाय।।54।।
  
 
(परकीया खंडिता)
 
(परकीया खंडिता)
  
जेहि लगि सजन सनेहिया, छुटि घर बार ।
+
जेहि लगि सजन सनेहिया, छुटि घर बार।
आपन हित परिवरवा, सोच परार ।।55।।
+
आपन हित परिवरवा, सोच परार।।55।।
  
 
(गणिका खंडिता)
 
(गणिका खंडिता)
  
मितवा ओठ कजरवा, जावक भाल ।
+
मितवा ओठ कजरवा, जावक भाल।
लियेसि का‍ढ़ि बइरिनिया, तकि मनिमाल ।।56।।
+
लियेसि का‍ढ़ि बइरिनिया, तकि मनिमाल।।56।।
  
(मुग्‍धा कलहांतरिता)
+
(मुग्धाज कलहांतरिता)
  
आयेहु अबहिं गवनवा, जुरुते मान ।
+
आयेहु अबहिं गवनवा, जुरुते मान।
अब रस लागिहि गोरिअहि, मन पछतान ।।57।।
+
अब रस लागिहि गोरिअहि, मन पछतान।।57।।
  
(मग्‍धा कलहांतरिता)
+
(मग्धाि कलहांतरिता)
  
मैं मतिमंद तिरियवा, परिलिउँ भोर ।
+
मैं मतिमंद तिरियवा, परिलिउँ भोर।
तेहि नहिं कंत मनउलेउँ, तेहि कछु खोर ।।58।।
+
तेहि नहिं कंत मनउलेउँ, तेहि कछु खोर।।58।।
  
 
(प्रौढ़ा कलहांतरिता)
 
(प्रौढ़ा कलहांतरिता)
  
थकि गा करि मनुहरिया, फिरि गा पीय ।
+
थकि गा करि मनुहरिया, फिरि गा पीय।
मैं उठि तुरति न लायेउँ, हिमकर हीय ।।59।।
+
मैं उठि तुरति न लायेउँ, हिमकर हीय।।59।।
  
 
(परकीया कलहांतरिता)
 
(परकीया कलहांतरिता)
  
जेहि लगि कीन बिरोधवा, ननद जिठानि ।
+
जेहि लगि कीन बिरोधवा, ननद जिठानि।
रखिउँ न लाइ करेजवा, तेहि हित जानि ।।60।।
+
रखिउँ न लाइ करेजवा, तेहि हित जानि।।60।।
  
 
(गणिका कलहांतरिता)
 
(गणिका कलहांतरिता)
  
जिहि दीन्‍हेउ बहु बिरिया, मुहि मनिमाल ।
+
जिहि दीन्हेलउ बहु बिरिया, मुहि मनिमाल।
तिहि ते रूठेउँ सखिया, फिरि गे लाल ।।61।।
+
तिहि ते रूठेउँ सखिया, फिरि गे लाल।।61।।
  
(मुग्‍धा विप्रलब्‍धा)
+
(मुग्धाठ विप्रलब्धाा)
  
लखे न कंत सहेटवा, फिरि दुबराय ।
+
लखे न कंत सहेटवा, फिरि दुबराय।
धनिया कमलबदनिया, गइ कुम्हिलाय ।।62।।
+
धनिया कमलबदनिया, गइ कुम्हिलाय।।62।।
  
(मध्‍या विप्रलब्‍धा)
+
(मध्याब विप्रलब्धाइ)
  
देखि न केलि-भवनवा, नंदकुमार ।
+
देखि न केलि-भवनवा, नंदकुमार।
लै लै ऊँच उससवा, भइ बिकरार ।।63।।
+
लै लै ऊँच उससवा, भइ बिकरार।।63।।
  
(प्रौढ़ा विप्रलब्‍धा)
+
(प्रौढ़ा विप्रलब्धान)
  
देखि न कंत सहेटवा, भा दुख पूर ।
+
देखि न कंत सहेटवा, भा दुख पूर।
भौ तन नैन कजरवा, होय गा झूर ।।64।।
+
भौ तन नैन कजरवा, होय गा झूर।।64।।
  
(परकीया विप्रलब्‍धा)
+
(परकीया विप्रलब्धा )
  
बैरिन भा अभिसरवा, अति दुख दानि ।
+
बैरिन भा अभिसरवा, अति दुख दानि।
प्रातउ मिलेउ न मितवा, भइ पछितानि ।।65।।
+
प्रातउ मिलेउ न मितवा, भइ पछितानि।।65।।
  
(‍गणिका विप्रलब्‍धा)
+
(गणिका विप्रलब्धात)
  
करिकै सोरह सिंगरवा, अतर लगाइ ।
+
करिकै सोरह सिंगरवा, अतर लगाइ।
मिलेउ न लाल सहेटवा, फिरि पछिताई ।।66।।
+
मिलेउ न लाल सहेटवा, फिरि पछिताई।।66।।
  
(मुग्‍धा उत्‍कंठिता)
+
(मुग्धाल उत्कं,ठिता)
  
भा जुग जाम जमिनिया, पिय नहिं जाय ।
+
भा जुग जाम जमिनिया, पिय नहिं जाय।
राखेउ कवन सवतिया, रहि बिलमाय ।।67।।
+
राखेउ कवन सवतिया, रहि बिलमाय।।67।।
  
(मध्‍या उत्‍कंठिता)
+
(मध्या  उत्कं,ठिता)
  
जोहत तीय अँगनवा, पिय की बाट ।
+
जोहत तीय अँगनवा, पिय की बाट।
बेचेउ चतुर तिरियवा, केहि के हाट ।।68।।
+
बेचेउ चतुर तिरियवा, केहि के हाट।।68।।
  
(प्रौढ़ा उत्‍कंठिता)
+
(प्रौढ़ा उत्कंाठिता)
  
पिय पथ हेरत गोरिया, भा भिनसार ।
+
पिय पथ हेरत गोरिया, भा भिनसार।
चलहु न करिहि तिरियवा, तुअ इतबार ।।69।।
+
चलहु न करिहि तिरियवा, तुअ इतबार।।69।।
  
(परकीया उत्‍कंठिता)
+
(परकीया उत्कंिठिता)
  
उठि उठि जात खिरिकिया, जोहत बाट ।
+
उठि उठि जात खिरिकिया, जोहत बाट।
कतहुँ न आवत मितवा, सुनि सुनि खाट ।।70।।
+
कतहुँ न आवत मितवा, सुनि सुनि खाट।।70।।
  
(गणिका उत्‍कंठिता)
+
(गणिका उत्कंवठिता)
  
कठिन नींद भिनुसरवा, आलस पाइ ।
+
कठिन नींद भिनुसरवा, आलस पाइ।
धन दै मूरख मितवा, रहल लोभाइ ।।71।।
+
धन दै मूरख मितवा, रहल लोभाइ।।71।।
  
(मुग्‍धा वासकसज्‍जा)
+
(मुग्धा  वासकसज्जार)
  
हरुए गवन नबेलिया, दीठि बचाइ ।
+
हरुए गवन नबेलिया, दीठि बचाइ।
पौढ़ी जाइ पलँगिया, सेज बिछाइ ।।72।।
+
पौढ़ी जाइ पलँगिया, सेज बिछाइ।।72।।
  
(मध्‍या वासकसज्‍जा)
+
(मध्या  वासकसज्जास)
  
सुभग बिछाई पलँगिया, अंग सिंगार ।
+
सुभग बिछाई पलँगिया, अंग सिंगार।
चितवत चौंकि तरुनिया, दै दृ्ग द्वार ।।73।।
+
चितवत चौंकि तरुनिया, दै दृ्ग द्वार।।73।।
  
(प्रौढ़ा वासकसज्‍जा)
+
(प्रौढ़ा वासकसज्जास)
  
हँसि हँसि हेरि अरसिया, सहज सिंगार ।
+
हँसि हँसि हेरि अरसिया, सहज सिंगार।
उतरत चढ़त नवेलिया, तिय कै बार ।।74।।
+
उतरत चढ़त नवेलिया, तिय कै बार।।74।।
  
(परकीया वासकसज्‍जा)
+
(परकीया वासकसज्जा,)
  
सोवत सब गुरू लोगवा, जानेउ बाल ।
+
सोवत सब गुरू लोगवा, जानेउ बाल।
दीन्‍हेसि खोलि खिरकिया, उठि कै हाल ।।75।।
+
दीन्हेबसि खोलि खिरकिया, उठि कै हाल।।75।।
  
(सामान्‍या वासकसज्‍जा)
+
(सामान्याह वासकसज्जा,)
  
कीन्‍हेसि सबै सिंगरवा, चातुर बाल ।
+
कीन्हेमसि सबै सिंगरवा, चातुर बाल।
ऐहै प्रानपिअरवा, लै मनिमाल ।।76।।
+
ऐहै प्रानपिअरवा, लै मनिमाल।।76।।
  
(मुग्‍धा स्‍वाधीनपतिका)
+
(मुग्धाय स्वांधीनपतिका)
  
आपुहि देत जवकवा, गहि गहि पाय ।
+
आपुहि देत जवकवा, गहि गहि पाय।
आपु देत मोहि पियवा, पान खवाय ।।77।।
+
आपु देत मोहि पियवा, पान खवाय।।77।।
  
(मध्‍या स्‍वाधीनपतिका)
+
(मध्याो स्वांधीनपतिका)
  
प्रीतम करत पियरवा, कहल न जात ।
+
प्रीतम करत पियरवा, कहल न जात।
रहत गढ़ावत सोनवा, इहै सिरात ।।78।।
+
रहत गढ़ावत सोनवा, इहै सिरात।।78।।
  
(प्रौढ़ा स्‍वाधीनपतिका)
+
(प्रौढ़ा स्वााधीनपतिका)
  
मैं अरु मोर पियरवा, जस जल मीन ।
+
मैं अरु मोर पियरवा, जस जल मीन।
बिछुरत तजत परनवा, रहत अधीन ।।79।।
+
बिछुरत तजत परनवा, रहत अधीन।।79।।
  
(परकीया स्‍वाधीनपतिका)
+
(परकीया स्वााधीनपतिका)
  
भो जुग नैन चकोरवा, पिय मुख चंद ।
+
भो जुग नैन चकोरवा, पिय मुख चंद।
जानत है तिय अपुनै, मोहि सुखकंद ।।80।।
+
जानत है तिय अपुनै, मोहि सुखकंद।।80।।
  
(सामान्‍या स्‍वाधीनपतिका)
+
(सामान्याअ स्वािधीनपतिका)
  
लै हीरन के हरवा, मानिकमाल ।
+
लै हीरन के हरवा, मानिकमाल।
मोहि रहत पहिरावत, बस ह्वै लाल ।।81।।
+
मोहि रहत पहिरावत, बस ह्वै लाल।।81।।
  
(मुग्‍धा अभिसारिका)
+
(मुग्धाह अभिसारिका)
  
चलीं लिवाइ नवेलिअहि, सखि सब संग ।
+
चलीं लिवाइ नवेलिअहि, सखि सब संग।
जस हुलसत गा गोदवा, मत्‍त मतंग ।।82।।
+
जस हुलसत गा गोदवा, मत्तस मतंग।।82।।
  
(मध्‍या अभिसारिका)
+
(मध्याग अभिसारिका)
  
पहिरे लाल अछुअवा, तिय-गज पाय ।
+
पहिरे लाल अछुअवा, तिय-गज पाय।
चढ़े नेह-हथिअवहा, हुलसत जाय ।।83।।
+
चढ़े नेह-हथिअवहा, हुलसत जाय।।83।।
  
 
(प्रौढ़ा अभिसारिका)
 
(प्रौढ़ा अभिसारिका)
  
चली रैनि अँधिअरिया, साहस गा‍ढि ।
+
चली रैनि अँधिअरिया, साहस गा‍ढि।
पायन केर कँगनिया, डारेसि का‍ढि ।।84।।
+
पायन केर कँगनिया, डारेसि का‍ढि।।84।।
  
(परकीया क(ष्‍णाभिसारिका)
+
(परकीया क(ष्णा,भिसारिका)
  
नील मनिन के हरवा, नील सिंगार ।
+
नील मनिन के हरवा, नील सिंगार।
किए रैनि अँधिअरिया, धनि अभिसार ।।85।।
+
किए रैनि अँधिअरिया, धनि अभिसार।।85।।
  
(शुक्‍लाभिसारिका)
+
(शुक्लाँभिसारिका)
  
सेत कुसुम कै हरवा भूषन सेत ।
+
सेत कुसुम कै हरवा भूषन सेत।
चली रैनि उँजिअरिया, पिय के हेत ।।86।।
+
चली रैनि उँजिअरिया, पिय के हेत।।86।।
  
 
(दिवाभिसारिका)
 
(दिवाभिसारिका)
  
पहिरि बसन जरतरिया, पिय के होत ।
+
पहिरि बसन जरतरिया, पिय के होत।
चली जेठ दुपहरिया, मिलि रवि जोत ।।87।।
+
चली जेठ दुपहरिया, मिलि रवि जोत।।87।।
  
 
(गणिका अभिसारिका)
 
(गणिका अभिसारिका)
  
धन हित कीन्‍ह सिंगरवा, चातुर बाल ।
+
धन हित कीन्हि सिंगरवा, चातुर बाल।
चली संग लै चेरिया, जहवाँ लाल ।।88।।
+
चली संग लै चेरिया, जहवाँ लाल।।88।।
  
(मुग्‍धा प्रवत्‍स्‍यत्पतिका)
+
(मुग्धा  प्रवत्य्व  त्पतिका)
  
परिगा कानन सखिया पिय कै गौन ।
+
परिगा कानन सखिया पिय कै गौन।
बैठी कनक पलँगिया, ह्वै कै मौन ।।89।।
+
बैठी कनक पलँगिया, ह्वै कै मौन।।89।।
  
(मध्‍या प्रवत्‍स्‍यत्पतिका)
+
(मध्याप प्रवत्य्व  त्पतिका)
  
सुठि सुकुमार तरुयिका, सुनि पिय-गौन ।
+
सुठि सुकुमार तरुयिका, सुनि पिय-गौन।
लाजनि पौ‍ढि ओबरिया, ह्वै कै मौन ।।90।।
+
लाजनि पौ‍ढि ओबरिया, ह्वै कै मौन।।90।।
  
(प्रौढ़ा प्रवत्‍स्‍यत्पतिका)
+
(प्रौढ़ा प्रवत्य्बरित्पतिका)
  
बन धन फूलहि टेसुआ, बगिअनि बेलि ।
+
बन धन फूलहि टेसुआ, बगिअनि बेलि।
चलेउ बिदेस पियरवा फगुआ खेलि ।।91।।
+
चलेउ बिदेस पियरवा फगुआ खेलि।।91।।
  
(परकीया प्रवत्‍स्‍यत्पतिका)
+
(परकीया प्रवत्य्ग  त्पतिका)
  
मितवा चलेउ बिदेसवा मन अनुरागि ।
+
मितवा चलेउ बिदेसवा मन अनुरागि।
पिय की सुरत गगरिया, रहि मग लागि ।।92।।
+
पिय की सुरत गगरिया, रहि मग लागि।।92।।
  
(गणिका प्रवत्‍स्‍यत्पतिका)
+
(गणिका प्रवत्य् म त्पतिका)
  
पीतम इक सुमिरिनिया, मुहि देइ जाहु ।
+
पीतम इक सुमिरिनिया, मुहि देइ जाहु।
जेहि जप तोर बिरहवा, करब निबाहु ।।93।।
+
जेहि जप तोर बिरहवा, करब निबाहु।।93।।
  
(गुग्‍धा आगतपतिका)
+
(गुग्धार आगतपतिका)
  
बहुत दिवस पर पियवा, आयेउ आज ।
+
बहुत दिवस पर पियवा, आयेउ आज।
पुलकित नवल दुलहिवा, कर गृह-काज ।।94।।
+
पुलकित नवल दुलहिवा, कर गृह-काज।।94।।
  
(मध्‍या आगतपतिका)
+
(मध्याल आगतपतिका)
  
पियवा आय दुअरवा, उठि किन देख ।
+
पियवा आय दुअरवा, उठि किन देख।
दुरलभ पाय बिदेसिया,मुद अवरेख ।।95।।
+
दुरलभ पाय बिदेसिया,मुद अवरेख।।95।।
  
 
(प्रौढ़ा आगतपतिका)
 
(प्रौढ़ा आगतपतिका)
  
आवत सुनत तिरियवा, उठि हरषाइ ।
+
आवत सुनत तिरियवा, उठि हरषाइ।
तलफत मनहुँ मछरिया, जनु जल पाइ ।।96।।
+
तलफत मनहुँ मछरिया, जनु जल पाइ।।96।।
  
 
(परकीया आगतपतिका)
 
(परकीया आगतपतिका)
  
पूछन चली खबरिया, मितवा तीर ।
+
पूछन चली खबरिया, मितवा तीर।
हरखित अतिहि तिरियवा पहिरत चीर ।।97।।
+
हरखित अतिहि तिरियवा पहिरत चीर।।97।।
  
 
(गणिका आगतपतिका)
 
(गणिका आगतपतिका)
  
तौ लगि मिटिहि न मितवा, तन की पीर ।
+
तौ लगि मिटिहि न मितवा, तन की पीर।
जौ लगि पहिर न हरवा, जटित सुहीर ।।98।।
+
जौ लगि पहिर न हरवा, जटित सुहीर।।98।।
  
 
(नायक)
 
(नायक)
  
सुंदर चतुर धनिकवा, जाति के ऊँच ।
+
सुंदर चतुर धनिकवा, जाति के ऊँच।
केलि-कला परबिनवा, सील समूच ।।99।।
+
केलि-कला परबिनवा, सील समूच।।99।।
  
 
(नायक भेद)
 
(नायक भेद)
  
पति, उपपति, वैसिकवा, त्रिबिध बखान ।
+
पति, उपपति, वैसिकवा, त्रिबिध बखान।
  
 
(पति लक्षण)
 
(पति लक्षण)
  
बिधि सो ब्‍याह्यो गुरु जन पति सो जानि ।।100।।
+
बिधि सो ब्याणह्यो गुरु जन पति सो जानि।।100।।
  
 
(पति)
 
(पति)
  
लैकै सुघर खुरुपिया, पिय के साथ ।
+
लैकै सुघर खुरुपिया, पिय के साथ।
छइवै एक छतरिया, बरखत पाथ ।।101।।
+
छइवै एक छतरिया, बरखत पाथ।।101।।
  
 
(अनुकूल)
 
(अनुकूल)
  
करत न हिय अपरधवा, सपनेहुँ पीय ।
+
करत न हिय अपरधवा, सपनेहुँ पीय।
मान करन की बेरिया, रहि गइ हीय ।।102।।
+
मान करन की बेरिया, रहि गइ हीय।।102।।
  
(‍दक्षिण)
+
(दक्षिण)
  
सौतिन करहि निहोरवा, हम कहँ देहु ।
+
सौतिन करहि निहोरवा, हम कहँ देहु।
चुन चु चंपक चुरिया, उच से लेहु ।।103।।
+
चुन चु चंपक चुरिया, उच से लेहु।।103।।
  
 
(शठ)
 
(शठ)
  
छूटेउ लाज डगरिया, औ कुल कानि ।
+
छूटेउ लाज डगरिया, औ कुल कानि।
करत जात अपरधवा, परि गइ बानि ।।104।।
+
करत जात अपरधवा, परि गइ बानि।।104।।
  
(धृष्‍ट)
+
(धृष्टप)
  
जहवाँ जात रइनियाँ तहवाँ जाहु ।
+
जहवाँ जात रइनियाँ तहवाँ जाहु।
जोरि नयन निरलजवा, कत मुसुकाहु ।।105।।
+
जोरि नयन निरलजवा, कत मुसुकाहु।।105।।
  
 
(उपपति)
 
(उपपति)
  
झाँकि झरोखन गोरिया, अँखियन जोर ।
+
झाँकि झरोखन गोरिया, अँखियन जोर।
फिरि चितवन चित मितवा, करत निहोर ।।106।।
+
फिरि चितवन चित मितवा, करत निहोर।।106।।
  
 
(वचन-चतुर)
 
(वचन-चतुर)
  
सघन कुंज अमरैया, सीतल छाँह ।
+
सघन कुंज अमरैया, सीतल छाँह।
झगरत आय कोइलिया, पुनि उड़ि जाह ।।107।।
+
झगरत आय कोइलिया, पुनि उड़ि जाह।।107।।
  
 
(क्रिया-चतुर)
 
(क्रिया-चतुर)
  
खेलत जानेसि टोलवा, नंदकिसोर ।
+
खेलत जानेसि टोलवा, नंदकिसोर।
हुइ वृषभानु कुँअरिया, होगा चोर ।।108।।
+
हुइ वृषभानु कुँअरिया, होगा चोर।।108।।
  
 
(वैशिक)
 
(वैशिक)
  
जनु अति नील अलकिया बनसी लाय ।
+
जनु अति नील अलकिया बनसी लाय।
भो मन बारबधुअवा, तीय बझाय ।।109।।
+
भो मन बारबधुअवा, तीय बझाय।।109।।
  
 
(प्रोषित नायक)
 
(प्रोषित नायक)
  
करबौं ऊँच अटरिया, तिय सँग केलि ।
+
करबौं ऊँच अटरिया, तिय सँग केलि।
कबधौं, पहिरि गजरवा, हार चमेलि ।।110।।
+
कबधौं, पहिरि गजरवा, हार चमेलि।।110।।
  
 
(मानी)
 
(मानी)
  
अब भरि जनम सहेलिया, तकब न ओहि ।
+
अब भरि जनम सहेलिया, तकब न ओहि।
ऐंठलि गइ अभिमनिया, तजि कै मोहि ।।111।।
+
ऐंठलि गइ अभिमनिया, तजि कै मोहि।।111।।
  
(स्‍वप्‍नदर्शन)
+
(स्वप्न,दर्शन)
  
 
पीतम मिलेउ सपनवाँ भइ सुख-खानि।
 
पीतम मिलेउ सपनवाँ भइ सुख-खानि।
आनि जगाएसि चेरिया, भइ दुखदानि ।।112।।
+
आनि जगाएसि चेरिया, भइ दुखदानि।।112।।
  
 
(चित्र दर्शन)
 
(चित्र दर्शन)
  
पिय मूरति चितसरिया, चितवन बाल ।
+
पिय मूरति चितसरिया, चितवन बाल।
सुमिरत अवधि बसरवा, जपि जपि माल ।।113।।
+
सुमिरत अवधि बसरवा, जपि जपि माल।।113।।
  
 
(श्रवण)
 
(श्रवण)
  
आयेउ मीत बिदेसिया, सुन सखि तोर ।
+
आयेउ मीत बिदेसिया, सुन सखि तोर।
उठि किन करसि सिंगरवा, सुनि सिख मोर ।।114।।
+
उठि किन करसि सिंगरवा, सुनि सिख मोर।।114।।
  
 
(साक्षात दर्शन)
 
(साक्षात दर्शन)
  
बिरहिनि अवर बिदेसिया, भै इक ठोर ।
+
बिरहिनि अवर बिदेसिया, भै इक ठोर।
पिय-मुख तकत तिरियवा, चंद चकोर ।।115।।
+
पिय-मुख तकत तिरियवा, चंद चकोर।।115।।
  
 
(मंडन)
 
(मंडन)
  
सखियन कीन्‍ह सिंगरवा रचि बहु भाँति ।
+
सखियन कीन्ह  सिंगरवा रचि बहु भाँति।
हेरति नैन अरसिया, मुरि मुसुकाति ।।116।।
+
हेरति नैन अरसिया, मुरि मुसुकाति।।116।।
  
 
(शिक्षा)
 
(शिक्षा)
  
छाकहु बैठ दुअरिया मीजहु पाय ।
+
छाकहु बैठ दुअरिया मीजहु पाय।
पिय तन पेखि गरमिया, बिजन डोलाय ।।117।।
+
पिय तन पेखि गरमिया, बिजन डोलाय।।117।।
  
 
(उपालंभ)
 
(उपालंभ)
  
चुप होइ रहेउ सँदेसवा, सुनि मुसुकाय ।
+
चुप होइ रहेउ सँदेसवा, सुनि मुसुकाय।
पिय निज कर बिछवनवा, दीन्‍ह उठाय ।।118।।
+
पिय निज कर बिछवनवा, दीन्हम उठाय।।118।।
  
 
(परिहास)
 
(परिहास)
  
बिहँसति भौहँ चढ़ाये, धुनष मनीय ।
+
बिहँसति भौहँ चढ़ाये, धुनष मनीय।
लावत उर अबलनिया, उठि उठि पीय ।।119।।
+
लावत उर अबलनिया, उठि उठि पीय।।119।।
  
 +
1.
  
 
+
भोरहिं बोलि कोइलिया बढ़वति ताप।
 
+
घरी एक भरि अलिया रहु चुपचाप
 
+
बाहर लैकै दियवा बारन जाइ।
  १.
+
सासु ननद घर पहुँचत देति बुझाइ
भोरहिं बोलि कोइलिया बढ़वति ताप .
+
पिय आवत अंगनैया उठिकै लीन।
धरी एक भरि अलिया! रहु चुपचाप .
+
बिहँसत चतुर तिरियवा बैठक दीन
बाहर लैके  दियवा बारन जाई .
+
लै कै सुघर खुरपिया पिय के साथ।
सासु ननद पर पहुँचत देति बुझाइ .
+
छइबै एक छतरिया बरसत पाथ
पिय आवत अँगनैया उठिकै लीन .
+
पीतम इक सुमरिनियाँ मोहिं देइ जाहु।
बिहँसत चतुर तिरियवा बैठक दीन .
+
जेहि जपि तोर बिरहवा करब निबाहु
लै कै सुघर खुरपिया पिय के साथ .
+
</poem>
छईबे एक छतरिया बरसत पाथ .
+
पीतं एक सुमरिनियाँ मोहिं देई जाहु.
+
जेहि जपि तोर बिरहवा करब निबाहु.
+
<poeM>
+

08:28, 15 मई 2014 के समय का अवतरण

   
(दोहा)

कवित कह्यो दोहा कह्यो, तुलै न छप्य्।।क छंद।
बिरच्या् यहै विचार कै, यह बरवैरस कंद।।1।।

(मंगलाचरण)

बंदौ देवि सरदवा, पद कर जोरि।
बरनत काव्यस बरैवा, लगै न खोरि।।2।।

(उत्त्मा)

लखि अपराध पियरवा, नहिं रिस कीन।
बिहँसत चनन चउकिया, बैठक दीन।।3।।

(मध्यनमा)

बिनुगुन पिय-उर हरवा, उपट्यो हेरि।
चुप ह्वै चित्र पुतरिया, रहि मुख फेरि।।4।।

(अधमा)

बेरिहि बेर गुमनवा, जनि करु नारि।
मानिक औ गजमुकुता, जौ लगि बारि।।5।।

(स्व कीया)

रहत नयन के कोरवा, चितवनि छाय।
चलत न पग-पैजनियॉं, मग अहटाय।।6।।

(मुग्धाम)

लहरत लहर लहरिया, लहर बहार।
मोतिन जरी किनरिया, बिथुरे बार।।7।।

लागे आन नवेलियहि, मनसिज बान।
उसकन लाग उरोजवा दृग तिरछान।।8।।

(अज्ञातयौवना)

कवन रोग दुहुँ छतिया, उपजे आय।
दुखि दुखि उठै करेजवा, लगि जनु जाय।।9।।

(ज्ञातयौवना)

औचक आइ जोबनवाँ, मोहि दुख दीन।
छुटिगो संग गोइअवॉं नहि भल कीन।।10।।

(नवोढ़ा)

पहिरति चूनि चुनरिया, भूषन भाव।
नैननि देत कजरवा, फूलनि चाव।।11।।

(विश्रब्धर नवोढ़ा)

जंघन जोरत गोरिया, करत कठोर।
छुअन न पावै पियवा, कहुँ कुच-कोर।।12।।

(मध्यतमा)

ढीलि आँख जल अँचवत, तरुनि सुभाय।
धरि खसिकाइ घइलना, मुरि मुसुकाय।।13।।

(प्रौढ़ रतिप्रीता)

भोरहि बोलि कोइलिया, बढ़वति ताप।
घरी एक घरि अलवा, रह चुपचाप।।14।।

(परकीया)

सुनि सुनि कान मुरलिया, रागन भेद।
गैल न छाँड़त गोरिया, गनत न खेद।।15।।

(ऊढ़ा)

निसु दिन सासु ननदिया, मुहि घर हेर।
सुनन न देत मुरलिया मधुरी टेर।।161।

(अनूढ़ा)

मोहि बर जोग कन्हैाया लागौं पाय।
तुहु कुल पूज देवतवा, होहु सहाय।।17।।

(भूत सुरति-संगोपना)

चूनत फूल गुलबवा डार कटील।
टुटिगा बंद अँगियवा, फटि पट नील।।18।।

आयेसि कवनेउ ओरवा, सुगना सार।
परिगा दाग अधरवा, चोंच चोटार।।19।।

(वर्तमान सुरति-गोपना)

मं पठयेउ जिहि मकवॉं, आयेस साध।
छुटिगा सीस को जुरवा, कसि के बाँध।।20।।

मुहि तुहि हरबर आवत, भा पथ खेद।
रहि रहि लेत उससवा, बहत प्रसेद।।21।।

(भविष्यत सुरति-गोपनान)

होइ कत आइ बदरिया, बरखहि पाथ।
जैहौं घन अमरैया, सुगना सा‍थ।।22।।

जैहौं चुनन कुसुमियॉं, खेत बडिे दूर।
नौआ केर छोहरिया, मुहि सँग कूर।।23।।

(क्रिया-विदग्धान)

बाहिर लैके दियवा, बारन जाय।
सासु ननद ढिग पहुँचत, देत बुझाय।।24।।

(वचन-विदग्धाग)

तनिक सी नाक नथुनिया, मित हित नीक।
कहिति नाक पहिरावहु, चित दै सींक।।25।।

(लक्षिता)

आजु नैन के कजरा, औरे भाँत।
नागर नहे नवेलिया, सुदिने जात।।26।।

(अन्य -सुरति-दु:खिता)

बालम अस मन मिलियउँ, जस पय पानि।
हँसिनि भइल सवतिया, लइ बिलगानि।।27।।

(संभोग-दु:खिता)

मैं पठयउ जिहि कमवाँ, आयसि साध।
छुटिगो सीस को जुरवा, कसि के बाँधि।।28।।

मुहि तुहि हरबत आवत, भव पथ खेद।
रहि रहि लेत उससवा, बहत प्रसेद।।29।।

(प्रेम-गर्विता)

आपुहि देत जवकवा, गूँदत हार।
चुनि पहिराव चुनरिया, प्रानअधार।।30।।

अवरन पाय जवकवा, नाइन दीन।
मुहि पग आगर गोरिया, आनन कीन।।31।।

(रूप-गर्विता)

खीन मलिन बिखभैया, औगुन तीन।
मोहिं कहत विधुबदनी, पिय मतिहीन।।32।।

दातुल भयसि सुगरुवा, निरस पखान।
यह मधु भरल अधरवा, करसि गुमान।।33।।

(प्रथम अनुशयना, भावी-संकेतनष्टार)

धीरज धरु किन गोरिया करि अनुराग।
जात जहाँ पिय देसवा, घन बन बाग।। 34।।

जनि मरु रोय दुलहिया, कर मन ऊन।
सघन कुंज ससुररिया, औ घर सून।।35।।

(द्वितीय अनुशयना, संकेत-विघट्टना)

जमुना तीर तरुनिअहि लखि भो सूल।
झरिगो रूख बेइलिया, फुलत न फूल।।36।।

ग्रीषम दवत दवरिया, कुंज कुटीर।
तिमि तिमि तकत तरुनिअहिं, बाढ़ी पीर।।37।।

(तृतीय अनुशयना, रमणगमना)

मितवा करत बँसुरिया, सुमन सपात।
फिरि फिरि तकत तरुनिया, मन पछतात।।38।।

मित उत तें फिरि आयेउ, देखु न राम।
मैं न गई अमरैया, लहेउ न काम।।39।।

(मुदिता)

नेवते गइल ननदिया, मैके सासु।
दुलहिनि तोरि खबारिया,आवै आँसु।।40।।

जैहौं काल नेवतवा, भा दु:ख दून।
गॉंव करेसि रखवरिया, सब घर सून।।41।।

(कुलटा)

जस मद मातल हथिया, हुमकत जात।
चितवत जात तरुनिया, मन मुसकात।।42।।

चितवत ऊँच अटरिया, दहिने बाम।
लाखन लखत विछियवा, लखी सकाम।।43।।

(सामान्या गणिका)

लखि लखि धनिक नयकवा बनवत भेष।
रहि गइ हेरि अरसिया कजरा रेख।।44।।

(मुग्धाि प्रोषितपतिका)

कासो कहौ सँदेसवा, पिय परदेसु।
लागेहु चइत न फले तेहि बन टेसु।।45।।

(मध्यात प्रोषितपतिका)

का तुम जुगुल तिरियवा, झगरति आय।
पिय बिन मनहुँ अटरिया, मुहि न सुहाय।।46।।

(प्रौढ़ा प्रोषितपतिका)

तैं अब जासि बेइलिया, बरु जरि मूल।
बिनु पिय सूल करेजवा, लखि तुअ फूल।।47।।

या झर में घर घर में, मदन हिलोर।
पिय नहिं अपने कर में, करमै खोर।।48।।

(मुग्धाप खंडिता)

सखि सिख मान नवेलिया, कीन्हेोसि मान।
पिय बिन कोपभवनवा, ठानेसि ठान।।49।।

सीस नवायँ नवेलिया, निचवइ जोय।
छिति खबि, छोर छिगुरिया, सुसुकति रोय।।50।।

गिरि गइ पीय पगरिया, आलस पाइ।
पवढ़हु जाइ बरोठवा, सेज डसाइ।।51।।

पोछहु अधर कजरवा, जावक भाल।
उपजेउ पीतम छतिया, बिनु गुन माल।।52।।

(प्रौढ़ा खंडिता)

पिय आवत अँगनैया, उठि कै लीन।
सा‍थे चतुर तिरियवा, बैठक दीन।।53।।

पवढ़हु पीय पलँगिया, मींजहुँ पाय।
रैनि जगे कर निंदिया, सब मिटि जाय।।54।।

(परकीया खंडिता)

जेहि लगि सजन सनेहिया, छुटि घर बार।
आपन हित परिवरवा, सोच परार।।55।।

(गणिका खंडिता)

मितवा ओठ कजरवा, जावक भाल।
लियेसि का‍ढ़ि बइरिनिया, तकि मनिमाल।।56।।

(मुग्धाज कलहांतरिता)

आयेहु अबहिं गवनवा, जुरुते मान।
अब रस लागिहि गोरिअहि, मन पछतान।।57।।

(मग्धाि कलहांतरिता)

मैं मतिमंद तिरियवा, परिलिउँ भोर।
तेहि नहिं कंत मनउलेउँ, तेहि कछु खोर।।58।।

(प्रौढ़ा कलहांतरिता)

थकि गा करि मनुहरिया, फिरि गा पीय।
मैं उठि तुरति न लायेउँ, हिमकर हीय।।59।।

(परकीया कलहांतरिता)

जेहि लगि कीन बिरोधवा, ननद जिठानि।
रखिउँ न लाइ करेजवा, तेहि हित जानि।।60।।

(गणिका कलहांतरिता)

जिहि दीन्हेलउ बहु बिरिया, मुहि मनिमाल।
तिहि ते रूठेउँ सखिया, फिरि गे लाल।।61।।

(मुग्धाठ विप्रलब्धाा)

लखे न कंत सहेटवा, फिरि दुबराय।
धनिया कमलबदनिया, गइ कुम्हिलाय।।62।।

(मध्याब विप्रलब्धाइ)

देखि न केलि-भवनवा, नंदकुमार।
लै लै ऊँच उससवा, भइ बिकरार।।63।।

(प्रौढ़ा विप्रलब्धान)

देखि न कंत सहेटवा, भा दुख पूर।
भौ तन नैन कजरवा, होय गा झूर।।64।।

(परकीया विप्रलब्धा )

बैरिन भा अभिसरवा, अति दुख दानि।
प्रातउ मिलेउ न मितवा, भइ पछितानि।।65।।

(गणिका विप्रलब्धात)

करिकै सोरह सिंगरवा, अतर लगाइ।
मिलेउ न लाल सहेटवा, फिरि पछिताई।।66।।

(मुग्धाल उत्कं,ठिता)

भा जुग जाम जमिनिया, पिय नहिं जाय।
राखेउ कवन सवतिया, रहि बिलमाय।।67।।

(मध्या उत्कं,ठिता)

जोहत तीय अँगनवा, पिय की बाट।
बेचेउ चतुर तिरियवा, केहि के हाट।।68।।

(प्रौढ़ा उत्कंाठिता)

पिय पथ हेरत गोरिया, भा भिनसार।
चलहु न करिहि तिरियवा, तुअ इतबार।।69।।

(परकीया उत्कंिठिता)

उठि उठि जात खिरिकिया, जोहत बाट।
कतहुँ न आवत मितवा, सुनि सुनि खाट।।70।।

(गणिका उत्कंवठिता)

कठिन नींद भिनुसरवा, आलस पाइ।
धन दै मूरख मितवा, रहल लोभाइ।।71।।

(मुग्धा वासकसज्जार)

हरुए गवन नबेलिया, दीठि बचाइ।
पौढ़ी जाइ पलँगिया, सेज बिछाइ।।72।।

(मध्या वासकसज्जास)

सुभग बिछाई पलँगिया, अंग सिंगार।
चितवत चौंकि तरुनिया, दै दृ्ग द्वार।।73।।

(प्रौढ़ा वासकसज्जास)

हँसि हँसि हेरि अरसिया, सहज सिंगार।
उतरत चढ़त नवेलिया, तिय कै बार।।74।।

(परकीया वासकसज्जा,)

सोवत सब गुरू लोगवा, जानेउ बाल।
दीन्हेबसि खोलि खिरकिया, उठि कै हाल।।75।।

(सामान्याह वासकसज्जा,)

कीन्हेमसि सबै सिंगरवा, चातुर बाल।
ऐहै प्रानपिअरवा, लै मनिमाल।।76।।

(मुग्धाय स्वांधीनपतिका)

आपुहि देत जवकवा, गहि गहि पाय।
आपु देत मोहि पियवा, पान खवाय।।77।।

(मध्याो स्वांधीनपतिका)

प्रीतम करत पियरवा, कहल न जात।
रहत गढ़ावत सोनवा, इहै सिरात।।78।।

(प्रौढ़ा स्वााधीनपतिका)

मैं अरु मोर पियरवा, जस जल मीन।
बिछुरत तजत परनवा, रहत अधीन।।79।।

(परकीया स्वााधीनपतिका)

भो जुग नैन चकोरवा, पिय मुख चंद।
जानत है तिय अपुनै, मोहि सुखकंद।।80।।

(सामान्याअ स्वािधीनपतिका)

लै हीरन के हरवा, मानिकमाल।
मोहि रहत पहिरावत, बस ह्वै लाल।।81।।

(मुग्धाह अभिसारिका)

चलीं लिवाइ नवेलिअहि, सखि सब संग।
जस हुलसत गा गोदवा, मत्तस मतंग।।82।।

(मध्याग अभिसारिका)

पहिरे लाल अछुअवा, तिय-गज पाय।
चढ़े नेह-हथिअवहा, हुलसत जाय।।83।।

(प्रौढ़ा अभिसारिका)

चली रैनि अँधिअरिया, साहस गा‍ढि।
पायन केर कँगनिया, डारेसि का‍ढि।।84।।

(परकीया क(ष्णा,भिसारिका)

नील मनिन के हरवा, नील सिंगार।
किए रैनि अँधिअरिया, धनि अभिसार।।85।।

(शुक्लाँभिसारिका)

सेत कुसुम कै हरवा भूषन सेत।
चली रैनि उँजिअरिया, पिय के हेत।।86।।

(दिवाभिसारिका)

पहिरि बसन जरतरिया, पिय के होत।
चली जेठ दुपहरिया, मिलि रवि जोत।।87।।

(गणिका अभिसारिका)

धन हित कीन्हि सिंगरवा, चातुर बाल।
चली संग लै चेरिया, जहवाँ लाल।।88।।

(मुग्धा प्रवत्य्व त्पतिका)

परिगा कानन सखिया पिय कै गौन।
बैठी कनक पलँगिया, ह्वै कै मौन।।89।।

(मध्याप प्रवत्य्व त्पतिका)

सुठि सुकुमार तरुयिका, सुनि पिय-गौन।
लाजनि पौ‍ढि ओबरिया, ह्वै कै मौन।।90।।

(प्रौढ़ा प्रवत्य्बरित्पतिका)

बन धन फूलहि टेसुआ, बगिअनि बेलि।
चलेउ बिदेस पियरवा फगुआ खेलि।।91।।

(परकीया प्रवत्य्ग त्पतिका)

मितवा चलेउ बिदेसवा मन अनुरागि।
पिय की सुरत गगरिया, रहि मग लागि।।92।।

(गणिका प्रवत्य् म त्पतिका)

पीतम इक सुमिरिनिया, मुहि देइ जाहु।
जेहि जप तोर बिरहवा, करब निबाहु।।93।।

(गुग्धार आगतपतिका)

बहुत दिवस पर पियवा, आयेउ आज।
पुलकित नवल दुलहिवा, कर गृह-काज।।94।।

(मध्याल आगतपतिका)

पियवा आय दुअरवा, उठि किन देख।
दुरलभ पाय बिदेसिया,मुद अवरेख।।95।।

(प्रौढ़ा आगतपतिका)

आवत सुनत तिरियवा, उठि हरषाइ।
तलफत मनहुँ मछरिया, जनु जल पाइ।।96।।

(परकीया आगतपतिका)

पूछन चली खबरिया, मितवा तीर।
हरखित अतिहि तिरियवा पहिरत चीर।।97।।

(गणिका आगतपतिका)

तौ लगि मिटिहि न मितवा, तन की पीर।
जौ लगि पहिर न हरवा, जटित सुहीर।।98।।

(नायक)

सुंदर चतुर धनिकवा, जाति के ऊँच।
केलि-कला परबिनवा, सील समूच।।99।।

(नायक भेद)

पति, उपपति, वैसिकवा, त्रिबिध बखान।

(पति लक्षण)

बिधि सो ब्याणह्यो गुरु जन पति सो जानि।।100।।

(पति)

लैकै सुघर खुरुपिया, पिय के साथ।
छइवै एक छतरिया, बरखत पाथ।।101।।

(अनुकूल)

करत न हिय अपरधवा, सपनेहुँ पीय।
मान करन की बेरिया, रहि गइ हीय।।102।।

(दक्षिण)

सौतिन करहि निहोरवा, हम कहँ देहु।
चुन चु चंपक चुरिया, उच से लेहु।।103।।

(शठ)

छूटेउ लाज डगरिया, औ कुल कानि।
करत जात अपरधवा, परि गइ बानि।।104।।

(धृष्टप)

जहवाँ जात रइनियाँ तहवाँ जाहु।
जोरि नयन निरलजवा, कत मुसुकाहु।।105।।

(उपपति)

झाँकि झरोखन गोरिया, अँखियन जोर।
फिरि चितवन चित मितवा, करत निहोर।।106।।

(वचन-चतुर)

सघन कुंज अमरैया, सीतल छाँह।
झगरत आय कोइलिया, पुनि उड़ि जाह।।107।।

(क्रिया-चतुर)

खेलत जानेसि टोलवा, नंदकिसोर।
हुइ वृषभानु कुँअरिया, होगा चोर।।108।।

(वैशिक)

जनु अति नील अलकिया बनसी लाय।
भो मन बारबधुअवा, तीय बझाय।।109।।

(प्रोषित नायक)

करबौं ऊँच अटरिया, तिय सँग केलि।
कबधौं, पहिरि गजरवा, हार चमेलि।।110।।

(मानी)

अब भरि जनम सहेलिया, तकब न ओहि।
ऐंठलि गइ अभिमनिया, तजि कै मोहि।।111।।

(स्वप्न,दर्शन)

पीतम मिलेउ सपनवाँ भइ सुख-खानि।
आनि जगाएसि चेरिया, भइ दुखदानि।।112।।

(चित्र दर्शन)

पिय मूरति चितसरिया, चितवन बाल।
सुमिरत अवधि बसरवा, जपि जपि माल।।113।।

(श्रवण)

आयेउ मीत बिदेसिया, सुन सखि तोर।
उठि किन करसि सिंगरवा, सुनि सिख मोर।।114।।

(साक्षात दर्शन)

बिरहिनि अवर बिदेसिया, भै इक ठोर।
पिय-मुख तकत तिरियवा, चंद चकोर।।115।।

(मंडन)

सखियन कीन्ह सिंगरवा रचि बहु भाँति।
हेरति नैन अरसिया, मुरि मुसुकाति।।116।।

(शिक्षा)

छाकहु बैठ दुअरिया मीजहु पाय।
पिय तन पेखि गरमिया, बिजन डोलाय।।117।।

(उपालंभ)

चुप होइ रहेउ सँदेसवा, सुनि मुसुकाय।
पिय निज कर बिछवनवा, दीन्हम उठाय।।118।।

(परिहास)

बिहँसति भौहँ चढ़ाये, धुनष मनीय।
लावत उर अबलनिया, उठि उठि पीय।।119।।

1.

भोरहिं बोलि कोइलिया बढ़वति ताप।
घरी एक भरि अलिया रहु चुपचाप
बाहर लैकै दियवा बारन जाइ।
सासु ननद घर पहुँचत देति बुझाइ
पिय आवत अंगनैया उठिकै लीन।
बिहँसत चतुर तिरियवा बैठक दीन
लै कै सुघर खुरपिया पिय के साथ।
छइबै एक छतरिया बरसत पाथ
पीतम इक सुमरिनियाँ मोहिं देइ जाहु।
जेहि जपि तोर बिरहवा करब निबाहु