भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गई शताब्दी का हिसाब / राजेन्द्र जोशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |संग्रह=मौन से बतक...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:58, 21 मई 2014 के समय का अवतरण

वे हर शताब्दी
चोला बदलते हैं
और चले आते
नभ में, जल में और आकाश में
कभी नहीं बिगड़ा
उनका टाइम-टेबल
रखते हमेशा संभाल कर
पुराने चोले को
नए चोले की अन्दर वाली जेब में
उस चोले की कतरन को
आकर मेरे सिरहाने
गई शताब्दी का हिसाब करते हैं
मौन रहकर वेे।