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"अंतरंग साँस / पुष्पिता" के अवतरणों में अंतर
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तुम्हारा प्यार
मेरे प्यार का आदर्श है।
बादलों से बादलों में
क्षितिज की तरह बन गए हैं
हम दोनों।
प्यार में
समुद्र हुए हम दोनों
क्षितिज हैं सागर के।
प्यार में
समुद्र को पीता है आकाश
आकाश को जीता है समुद्र
वैसे ही
तुम मुझे
अपने कोमलतम क्षणों में
तुम्हारे प्यार की परिधि
मेरी सीमा और संसार...।