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जय लक्ष्मी माता / आरती

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{{KKAarti|रचनाकार=KKDharmikRachna}}{{KKCatArti}}<poem> ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता<br>तुम को निस दिन सेवत, मैयाजी को निस दिन सेवत<br>हर विष्णु विधाता ।<br>विधाता।ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>माता॥
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता<br>ओ मैया तुम ही जग माता ।<br>माता।सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता<br>ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>माता॥
दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता<br>ओ मैया सुख सम्पति दाता ।<br>दाता।जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता<br>ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>माता॥
तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता<br>ओ मैया तुम ही शुभ दाता ।<br>दाता।कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता<br>ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>माता॥
जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता <br>ओ मैया सब सद्गुण आता ।<br>आता।सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता<br>ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता<br>ओ मैया वस्त्र न कोई पाता ।<br>पाता।खान पान का वैभव, सब तुम से आता<br>ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>माता॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता<br>ओ मैया क्षीरोदधि जाता ।<br>जाता।रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता <br>ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br><br>माता॥
महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता<br>ओ मैया जो कोई जन गाता ।<br>गाता।उर आनंद समाता, पाप उतर जाता<br> ॐ जय लक्ष्मी माता ॥<br>माता॥<br/poem>
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