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जाकी कृपा कुमति मिट जाए।
जननि विद्या बुद्धि भक्ति की। आरती ..<BR>
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सुमिरण करत सुमति गति आये,
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शुक सनकादिक जासु गुण गाये।
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वाणि रूप अनादि शक्ति की॥ आरती...
  
जाकी कृपा कुमति मिट जाए।<BR>
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नाम जपत भ्रम छूट दिये के।
सुमिरण करत सुमति गति आये,<BR>
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दिव्य दृष्टि शिशु उध हिय के।
शुक सनकादिक जासु गुण गाये।<BR>
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मिलहिं दर्श पावन सिय पिय के।
वाणि रूप अनादि शक्ति की॥ आरती ..<BR>
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उड़ाई सुरभि युग-युग, कीर्ति की। आरती...
  
नाम जपत भ्रम छूट दिये के।<BR>
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रचित जास बल वेद पुराणा।
दिव्य दृष्टि शिशु उध हिय के।<BR>
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जेते ग्रन्थ रचित जगनाना।
मिलहिं दर्श पावन सिय पिय के।<BR>
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तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना।
उड़ाई सुरभि युग-युग, कीर्ति की। आरती ..<BR>
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जो आधार कवि यति सती की॥ आरती..
 
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रचित जास बल वेद पुराणा।<BR>
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जेते ग्रन्थ रचित जगनाना।<BR>
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सरस्वती की वीणा-वाणी कला जननि की॥
 
सरस्वती की वीणा-वाणी कला जननि की॥
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12:22, 30 मई 2014 के समय का अवतरण

अष्टक   ♦   आरतियाँ   ♦   चालीसा   ♦   भजन   ♦   प्रार्थनाएँ   ♦   श्लोक

 
आरती कीजै सरस्वती की,
जननि विद्या बुद्धि भक्ति की। आरती...

जाकी कृपा कुमति मिट जाए।
सुमिरण करत सुमति गति आये,
शुक सनकादिक जासु गुण गाये।
वाणि रूप अनादि शक्ति की॥ आरती...

नाम जपत भ्रम छूट दिये के।
दिव्य दृष्टि शिशु उध हिय के।
मिलहिं दर्श पावन सिय पिय के।
उड़ाई सुरभि युग-युग, कीर्ति की। आरती...

रचित जास बल वेद पुराणा।
जेते ग्रन्थ रचित जगनाना।
तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना।
जो आधार कवि यति सती की॥ आरती..

सरस्वती की वीणा-वाणी कला जननि की॥