भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रानी कीरति कुँवरि जा‌ई / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:00, 30 मई 2014 के समय का अवतरण

रानी कीरति कुंवरि जा‌ई॥

 सुंदर सुभग मनोहर मंगल परम सुलच्छनि सब मन भा‌ई।
 सबै अलौकिक रूप मधुर गुन अमित प्रेम-सागर लहरा‌ई॥
 
 चिदानंद-रस हरि की अह्लादिनि-सक्ति सहज निज रूप छिपा‌ई।
 धनि-धनि भाग भानु नृप के जिन के घर यह कन्या बनि आ‌ई॥

 धनि रावल, धनि-धनि बरसानों, धनि गोपी, जिन गोद खिला‌ई॥
 नंद-जसोदा धन्य, आ‌इ जिन यहाँ सरित सुख-सुधा बहा‌ई॥