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पाण्डव-राज-सभा में वध कर, किया सहज शिशुपाल निहाल।
कर स्वीकार अग्र-पूजनको, न्नँञ्चा ऊँचा किया युधिष्ठिर-भाल॥
पाण्डव-कौरव समरान्गण में दे अर्जुन को गीता-ज्ञान।
अखिल लोक अघ-तम-हारी जो, मार्गदर्शिका ज्योति महान॥
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