भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुकिया साखर चाखाया दिधली / गोरा कुंभार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संत गोरा कुंभार |अनुवादक= |संग्रह= ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

01:18, 1 जून 2014 के समय का अवतरण

मुकिया साखर चाखाया दिधली। बोलतं हे बोली बोलवेना॥ १॥
तो काय शब्द खुंटला अनुवाद। आपुला आनंद आधाराया॥ २॥
आनंदी आनंद गिळूनि राहणें। अखंडित होणें न होतिया॥ ३॥
म्हणे गोरा कुंभार जीवन्मुक्त होणें। जग हें करणें शहाणें बापा॥ ४॥