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"डर / सुशान्त सुप्रिय" के अवतरणों में अंतर

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तुम डरते हो
 
तुम डरते हो
::तेज़ाबी-बारिश से
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::ओज़ोन-छिद्र से
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मैं डरता हूँ
 
मैं डरता हूँ
::विश्वासघात के सर्प-दंशों से
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::बदनीयती के रिश्तों से
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तुम डरते हो
 
तुम डरते हो
:::रासायनिक हथियारों से
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::परमाणु-बमों से
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मैं डरता हूँ
 
मैं डरता हूँ
::मूल्यों के खो जाने से
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::मूल्यों के खो जाने से
::आत्मा पर लगे कलंक से
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::आत्मा पर लगे कलंक से
 
तुम डरते हो
 
तुम डरते हो
::एड्स से
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::एड्स से
::कैंसर से
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::कैंसर से
::मृत्यु से
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::मृत्यु से
 
मैं डरता हूँ
 
मैं डरता हूँ
::उन पलों से
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::उन पलों से
::जब जीवित होते हुए भी
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::जब जीवित होते हुए भी
:: मेरे भीतर कहीं कुछ
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::मेरे भीतर कहीं कुछ
:: मर जाता है
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::मर जाता है
 
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17:02, 7 जून 2014 के समय का अवतरण

तुम डरते हो
तेज़ाबी-बारिश से
ओज़ोन-छिद्र से
मैं डरता हूँ
विश्वासघात के सर्प-दंशों से
बदनीयती के रिश्तों से
तुम डरते हो
रासायनिक हथियारों से
परमाणु-बमों से
मैं डरता हूँ
मूल्यों के खो जाने से
आत्मा पर लगे कलंक से
तुम डरते हो
एड्स से
कैंसर से
मृत्यु से
मैं डरता हूँ
उन पलों से
जब जीवित होते हुए भी
मेरे भीतर कहीं कुछ
मर जाता है