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"बरस रही प्रभु-कृपा सभी पर / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

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बरस रही प्रभु-कृपा सभी पर बिना भेद अनवरत अपार।
 
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किंञ्तु कर पाते अनुभव श्वास-हीन हम मोहागार॥
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किंतु कर पाते अनुभव श्वास-हीन हम मोहागार॥
पर प्रभु-कृपा न वञ्चित रखती कभी किसीको परम उदार।
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पर प्रभु-कृपा न वंचित रखती कभी किसीको परम उदार।
 
समुचित मधुर-तिक्त औषध दे हरती रहती रोग-विकार॥
 
समुचित मधुर-तिक्त औषध दे हरती रहती रोग-विकार॥
 
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08:34, 9 जून 2014 के समय का अवतरण

बरस रही प्रभु-कृपा सभी पर बिना भेद अनवरत अपार।
किंतु कर पाते अनुभव श्वास-हीन हम मोहागार॥
पर प्रभु-कृपा न वंचित रखती कभी किसीको परम उदार।
समुचित मधुर-तिक्त औषध दे हरती रहती रोग-विकार॥