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"साडा चिड़ियाँ दा चंबा वे / पंजाबी" के अवतरणों में अंतर

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साडा चिड़ियाँ   दा चंबा वे ,
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साडा चिड़ियाँ दा चंबा वे
बाबल असां उड़ जाणा ,
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बाबल असां उड़ जाणा  
साडी लम्मी उडारी वे ,
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साडी लम्मी उडारी वे  
बाबल केहड़े देस जाणा .
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बाबल केहड़े देस जाणा
  
तेरे महिलां दे विच विच वे ,
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तेरे महिलां दे विच विच वे  
बाबल चरखा कौन कत्ते   ?
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बाबल चरखा कौन कत्ते?
मेरियां कत्तन पोतरियाँ,
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मेरियां कत्तन पोतरियाँ
धिए घर जा अपणे.
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धिए घर जा अपणे
  
तेरे महिलां दे विच विच वे ,
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तेरे महिलां दे विच विच वे  
बाबल गुडियां कौण खेडे?
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बाबल गुडियां कौण खेडे?
मेरियां खेडण पोतरियाँ ,
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मेरियां खेडण पोतरियाँ  
धिए घर जा अपणे .
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धिए घर जा अपणे
  
मेरा छुट्या कसीदा वे,
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मेरा छुट्या कसीदा वे
 
बाबल दस कौन कडे?
 
बाबल दस कौन कडे?
मेरियां कडन पोतरियाँ ,
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मेरियां कडन पोतरियाँ  
धिए घर जा अपणे.
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धिए घर जा अपणे
  
तेरे बागां दे विच विच वे ,
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तेरे बागां दे विच विच वे  
बाबल डोला नहीं लंघदा.
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बाबल डोला नहीं लंघदा
इक टहनी पुट देवाँ,
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इक टहनी पुट देवाँ
धिए घर जा अपणे
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धिए घर जा अपणे
 
   
 
   
तेरियां भिडीयाँ गलियाँ‘च वे ,
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बाबल डोला नहीं लंघदा .
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बाबल डोला नहीं लंघदा
इक इट पुटा देवाँ ,
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इक इट पुटा देवाँ  
धिए घर जा अपणे .
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धिए घर जा अपणे
 
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13:00, 21 जून 2014 के समय का अवतरण

पंजाबी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

साडा चिड़ियाँ दा चंबा वे
बाबल असां उड़ जाणा
साडी लम्मी उडारी वे
बाबल केहड़े देस जाणा

तेरे महिलां दे विच विच वे
बाबल चरखा कौन कत्ते?
मेरियां कत्तन पोतरियाँ
धिए घर जा अपणे

तेरे महिलां दे विच विच वे
बाबल गुडियां कौण खेडे?
मेरियां खेडण पोतरियाँ
धिए घर जा अपणे

मेरा छुट्या कसीदा वे
बाबल दस कौन कडे?
मेरियां कडन पोतरियाँ
धिए घर जा अपणे

तेरे बागां दे विच विच वे
बाबल डोला नहीं लंघदा
इक टहनी पुट देवाँ
धिए घर जा अपणे
 
तेरियां भिडीयाँ गलियाँ'च वे
बाबल डोला नहीं लंघदा
इक इट पुटा देवाँ
धिए घर जा अपणे