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"फागुन के दोहे / पूर्णिमा वर्मन" के अवतरणों में अंतर

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ऎसी दौडी़ फ़गुनाहट ढ़ाणी चौक फलाँग
 
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आम बौराया आँगना कोयल चढ़ी अटार
 
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चंग द्वार दे दादर मौसम हुआ बहार
 
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दूब फूल की गुदगुदी बतरस चढी़ मिठास
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मुलके दादी भामरी मौसम को है आस
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वर गेहूँ बाली सजा खड़ी फसल बारात
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सुग्गा छेड़े पी कहाँ सरसों पीली गात
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ॠतु के मोखे सब खड़े पाने को सौगात
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मानक बाँटे छाँट्कर टेसू ढ़ाक पलाश
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ढीठ छोरियाँ तितलियाँ रोके राह बसंत
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धरती सब क्यारी हुई अम्बर हुआ पतंग
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09:23, 28 जून 2014 के समय का अवतरण

ऎसी दौडी़ फ़गुनाहट ढ़ाणी चौक फलाँग
फागुन आया खेत में गये पडो़सी जान

आम बौराया आँगना कोयल चढ़ी अटार
चंग द्वार दे दादर मौसम हुआ बहार

दूब फूल की गुदगुदी बतरस चढी़ मिठास
मुलके दादी भामरी मौसम को है आस

वर गेहूँ बाली सजा खड़ी फसल बारात
सुग्गा छेड़े पी कहाँ सरसों पीली गात

ॠतु के मोखे सब खड़े पाने को सौगात
मानक बाँटे छाँट्कर टेसू ढ़ाक पलाश

ढीठ छोरियाँ तितलियाँ रोके राह बसंत
धरती सब क्यारी हुई अम्बर हुआ पतंग