भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सच्चा मित्र / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatBaalKavita}} | {{KKCatBaalKavita}} | ||
− | <poem>झगड़ू बंदर ने रगड़ू, | + | <poem> |
+ | झगड़ू बंदर ने रगड़ू, | ||
भालू से हाथ मिलाया| | भालू से हाथ मिलाया| | ||
बोला तुमसे मिलकर तो, | बोला तुमसे मिलकर तो, |
22:48, 29 जून 2014 के समय का अवतरण
झगड़ू बंदर ने रगड़ू,
भालू से हाथ मिलाया|
बोला तुमसे मिलकर तो,
प्रिय बहुत मज़ा है आया|
रगड़ू बोला हाथ मिले,
तो मन भी तो मिल जाते|
अच्छे मित्र वही होते,
जो काम समय पर आते|
कठिन समय पर काम नहीं,
जो कभी मित्र के आता|
मित्र कहां ? अवसर वादी,
वह तो गद्दार कहाता|