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"सुर न सजे क्या गाऊँ मैं / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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स्वर की साधना परमेश्वर की !
 
स्वर की साधना परमेश्वर की !
 
 
 
 
 
 
 
 
 
संगीत मन को पंखा
 

09:16, 22 दिसम्बर 2007 के समय का अवतरण

सुर न सजे क्या गाऊँ मैं

सुर के बिना जीवन सूना


दोनों जहाँ मुझ से रूठे

तेरे बिना ये गीत भी झूठे

जलता गया जीवन मेरा

इस रात का न होगा सवेरा


संगीत मन को पंख लगाए

गीतों से रिमझिम बरसाए

स्वर की साधना परमेश्वर की !