भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कांच बांस काटिकऽ बंगाल घर छारि कऽ / मैथिली लोकगीत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:44, 1 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कांच बांस काटिकऽ बंगाल घर छारि कऽ
ई लट झाड़ि कऽ ओ पट झाड़ि कऽ
एती-एतीराति पिा कतऽ सऽ आयल छी?
राहरिक खेत पोखरौना सऽ आयल छी
हाथमे टुनटुन, पयरमे काड़ा
कर दतमनियां नैना जोगिनियां
एके पटोर तर दुइ रे कुमारि
बाम छौ कनियां दहिन छौ सारि
हृदय विचारि कऽ उठा ले नारि
आलरि-झालरि कांधे कामरु माथे बीयनि
तेसर योगिनियां तोहें छोटकी सासु हे
आबे बाबू पड़ल योगिनियां के वश हे