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"मून खोलणो पड़ सी / ओम पुरोहित कागद" के अवतरणों में अंतर
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− | + | चारूं कानी | |
− | + | मुलकांवारो अंधारो है | |
− | + | आओ, म्हारै सागै रळो । | |
− | + | आपां भला‘ई‘ | |
− | + | धोबो-धोबो अंधारो काढां, | |
− | + | चानणै नी बात तो सोचा । | |
− | + | जे आपां स्यूं | |
− | + | अंधारो नी कढ सी | |
− | + | तो ना कढो ! | |
− | + | चानणो आपी | |
− | + | आप रो टैम काढ सी, | |
− | + | दूसरी बात और है कै | |
− | + | जे सूरज नै | |
− | + | आपरो अस्तित्व बचाणो है | |
− | + | तो बो खुद | |
− | + | चिंता राख सी | |
− | + | ओ उण रो | |
− | + | घरू मामलो है | |
− | उण | + | अर फेर आभी तो है |
− | + | कै चानणै‘र अ‘धारै राी | |
− | + | कुस्ती चाल रै‘यी है | |
− | + | अखूट, अछूट! | |
− | + | अै एक दूसरै रै | |
− | + | ऊपर नीचे अंावता रै‘वै । | |
− | + | अब ताईं तो | |
− | + | अंधारो जीत्यो | |
− | अखूट | + | न कोई चानणो |
− | + | पण फेर बी आपां | |
− | + | आप रै हिस्सा रो काम करां | |
− | + | आपां चानणै री | |
− | + | मदद करां, भला‘ई | |
− | + | राम बण‘र | |
− | अब | + | अधारै सागै दगो करां |
− | + | अंधारै रै बाली नै मार‘र | |
− | + | चानणै रै सुग्रीव नै | |
− | + | राज सूंपां । | |
− | + | इण खातर आपां | |
− | + | धणां‘ई निबळा हां | |
− | + | पण फेर बी आओ ! | |
− | + | आपां अंधारो काढण री | |
− | + | बात ता करां । | |
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12:51, 1 जुलाई 2014 का अवतरण
चारूं कानी
मुलकांवारो अंधारो है
आओ, म्हारै सागै रळो ।
आपां भला‘ई‘
धोबो-धोबो अंधारो काढां,
चानणै नी बात तो सोचा ।
जे आपां स्यूं
अंधारो नी कढ सी
तो ना कढो !
चानणो आपी
आप रो टैम काढ सी,
दूसरी बात और है कै
जे सूरज नै
आपरो अस्तित्व बचाणो है
तो बो खुद
चिंता राख सी
ओ उण रो
घरू मामलो है
अर फेर आभी तो है
कै चानणै‘र अ‘धारै राी
कुस्ती चाल रै‘यी है
अखूट, अछूट!
अै एक दूसरै रै
ऊपर नीचे अंावता रै‘वै ।
अब ताईं तो
अंधारो जीत्यो
न कोई चानणो
पण फेर बी आपां
आप रै हिस्सा रो काम करां
आपां चानणै री
मदद करां, भला‘ई
राम बण‘र
अधारै सागै दगो करां
अंधारै रै बाली नै मार‘र
चानणै रै सुग्रीव नै
राज सूंपां ।
इण खातर आपां
धणां‘ई निबळा हां
पण फेर बी आओ !
आपां अंधारो काढण री
बात ता करां ।