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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
विषहरि विषहरि, करे छी पुकार
कतहुँ ने देखै छी, जननी हमार
तेल दे रे तेलिया भइया, दीप दे कुम्हार
बाती दे रे पटबा भइया, लेसू प्रहलाद
नाव दे रे मलहवा भइया, घरू करूआर
जायब सरोवर-पार होइए अबेर