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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
दक्षिण पवन बहु नहुँ-नहुँ पहुसँ मिलन हएत कबगहुँ
आँगन मोरा लेखे बिजुवन सूतक सेज विषम सन
फूजल केश निजुआयल गेरुआ मोहि न सोहायल
एहि अवसर पहु के पबितहुँ कर धए कंठ लगबितहुँ
आम मजरि महु तुअल, तैयो नहि पहु घूरल
दीप जरिय, जरिय ओरबाती, नैनक नोर भीजल छाती