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"देवकी-नन्दन की जय / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

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एक लकडिय़ा चन्दन की। 
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देवकी-नन्दनकी जय, यशोदा-नन्दनकी जय।
          जै बोलो जसुदानन्दन की॥
+
बोलो असुर-निकन्दनकी जय जय जय॥-१॥
एक लकडिय़ा आम की। 
+
नन्द-छैयाकी जय नाग-नथैयाकी जय।
          जै बोलो श्रीघनश्याम की॥
+
बोलो माखन-चुरैयाकी जय जय जय॥-२॥
एक लकडिय़ा बोर की। 
+
          जै बोलो नन्द-किशोर की॥
+
एक लकडिय़ा नीम की। 
+
          जै बोलो रूप असीम की॥
+
  
एक लकडिय़ा कीकर की। 
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दा‌ऊ-भैयाकी जय, रास-रचैयाकी जय।
          जै बोलो श्रीमुरलीधर की॥
+
बोलो नृत्य-करैयाकी जय जय जय॥-३॥
एक लकडिय़ा साल की। 
+
मुरलीधारीकी जय, ब्रज-विहारीकी जय।
          जै बोलो जसुमति-लाल की॥
+
बोलो कृष्ण-मुरारीकी जय जय जय॥-४॥
एक लकडिय़ा पीपल की। 
+
          जै बोलो नेत्र कमल-दल की॥
+
एक लकडिय़ा सेमर की। 
+
          जै बोलो श्रीराधावर की॥
+
  
एक लकडिय़ा पाकर की। 
+
गोपी-वल्लभकी जय, राधा-वल्लभकी जय।
          जै बोलो प्रेम-सुधाकर की॥
+
बोलो रूक्मिणी-वल्लभकी जय जय जय॥-५॥
एक लकडिय़ा तूत की। 
+
विश्व-पावनकी जय, भक्त-भावनकी जय।
          जै बोलो जसुदा-पूत की॥
+
बोलो सर्व-भुलावनकी जय जय जय॥-६॥
एक लकडिय़ा बाँस की। 
+
          जै बोलो प्रेम-निवास की॥
+
एक लकडिय़ा कटहल की। 
+
          जै बोलो नाशक अघ-दल की॥
+
  
एक लकडिय़ा जामुन की। 
+
गीता-गायककी जय, लोक-नायककी जय।
          जै बोलो मुनि-मन-हर-गुन की॥
+
बोलो सर्वसुखदायककी जय जय जय॥-७॥
एक लकडिय़ा ताल की। 
+
अखिलेश्वरकी जय, लोकमहेश्वरकी जय।
          जै बोलो रसिक रसाल की॥
+
बोलो भक्तजनेश्वरकी जय जय जय॥-८॥
एक लकडिय़ा श्रीफल की। 
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          जै बोलो नित्य सुमंगल की॥
+
एक लकडिया वर वट की। 
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          जै बोलो श्रीनागर-नट की॥
+
 
+
लकड़ी एक बकायन की। 
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          जै बोलो प्रेम-रसायन की॥
+
लकड़ी एक मदार की। 
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          जै बोलो परम उदार की॥
+
लकड़ी एक अनार की। 
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          जै बोलो गोप-कुमार की॥
+
लकड़ी एक प्रियाल की। 
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          जै बोलो नँद के लाल की॥
+
 
+
लकड़ी एक पलास की। 
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          जै बोलो जगन्निवास की॥
+
लकड़ी एक खजूर की। 
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          जै बोलो रस-भरपूर की॥
+
लकड़ी एक बदाम की। 
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          जै बोलो रूप ललाम की॥
+
लकड़ी एक बबूल की। 
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          जै बोलो जग के मूल की॥
+
 
+
लकड़ी एक सुपारी की। 
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          जै बोलो बिपिन-बिहारी की॥
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लकड़ी एक अँजीर की। 
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        जय बोलो प्रेम-‌अधीर की॥
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22:23, 9 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

देवकी-नन्दनकी जय, यशोदा-नन्दनकी जय।
बोलो असुर-निकन्दनकी जय जय जय॥-१॥
नन्द-छैयाकी जय नाग-नथैयाकी जय।
बोलो माखन-चुरैयाकी जय जय जय॥-२॥

दा‌ऊ-भैयाकी जय, रास-रचैयाकी जय।
बोलो नृत्य-करैयाकी जय जय जय॥-३॥
मुरलीधारीकी जय, ब्रज-विहारीकी जय।
बोलो कृष्ण-मुरारीकी जय जय जय॥-४॥

गोपी-वल्लभकी जय, राधा-वल्लभकी जय।
बोलो रूक्मिणी-वल्लभकी जय जय जय॥-५॥
विश्व-पावनकी जय, भक्त-भावनकी जय।
बोलो सर्व-भुलावनकी जय जय जय॥-६॥

गीता-गायककी जय, लोक-नायककी जय।
बोलो सर्वसुखदायककी जय जय जय॥-७॥
अखिलेश्वरकी जय, लोकमहेश्वरकी जय।
बोलो भक्तजनेश्वरकी जय जय जय॥-८॥