भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रामचंद्र मुख-मंजु मनोहर / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

11:26, 10 जुलाई 2014 का अवतरण

रामचंद्र मुख-मंजु मनोहर भक्त-भ्रमर मन-हारक।
मंगल मूल मधुर मंजुल मृदु दिय सहज सुख-कारक॥
नित्य निरामय निर्मल अबिरल ललित कलित सुभ सोभित।
पाप-ताप-मद-मोह-हरन, मुनि-मन-सुचि-करन सुलोभित॥
नील-स्याम-तनु, धनु कर सोहत, बरद हस्त भय नासत।
सुमन-माल-सुरभित, मुक्त-मनि-हार लसत दुति भासत॥
पीत बसन सौंदर्य-सौर्य-निधि, भाल तिलक अति भ्राजत।
अखिल भुवनपति, सुषमा-श्री लखि, काम कोटि-सत लाजत॥