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"सारे जहाँ को अब तो ख़बर है और आप हैं / ‘अना’ क़ासमी" के अवतरणों में अंतर

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सारे जहाँ को अब तो ख़बर है और आप हैं  
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इस दिल पे आप ही का असर है और आप हैं  
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इस दिल पे आप ही का असर हैऔर आप हैं  
आयें न, आप ही का ये घर है और आप हैं  
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ये ख़्वाब है या मीर के दीवान<ref>पांडुलिपि</ref> का वरक़
 
ये ख़्वाब है या मीर के दीवान<ref>पांडुलिपि</ref> का वरक़
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देखें कहां से पहले सरकता है अब हिजाब
 
देखें कहां से पहले सरकता है अब हिजाब
ये आईना है, मेरी नज़र है और आप हैं  
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दिल ही न जब रहेगा, रहेंगे कहां जनाब
 
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कुछ और पहनो ,छोडो  ये साड़ी सम्हालना
 
कुछ और पहनो ,छोडो  ये साड़ी सम्हालना
कांटों भरी ये राहगुज़र है और आप हैं  
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कांटों भरी ये राहगुज़र है , और आप हैं  
  
लिक्खूँ गज़ल के घाव कुरेदूं में किया करूं  
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लिक्खूँ गज़ल के घाव कुरेदूं , में किया करूं  
 
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15:46, 16 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

सारे जहाँ को अब तो ख़बर है, और आप हैं
अब आप ही का हाशियागर <ref>बातें बनाने वाला </ref>है , और आप हैं

इस दिल पे आप ही का असर है, और आप हैं
आयें न, आप ही का ये घर है, और आप हैं

ये ख़्वाब है या मीर के दीवान<ref>पांडुलिपि</ref> का वरक़
गुल्लायची<ref>एक खूबसूरत पेड़</ref> है, आधा क़मर<ref>चाँद</ref> है और आप हैं

देखें कहां से पहले सरकता है अब हिजाब
ये आईना है, मेरी नज़र है, और आप हैं

दिल ही न जब रहेगा, रहेंगे कहां जनाब
आलम<ref>हालत</ref>यहां का जे़रो-ज़बर<ref>उथल-पुथल</ref> है और आप हैं

कुछ और पहनो ,छोडो ये साड़ी सम्हालना
कांटों भरी ये राहगुज़र है , और आप हैं

लिक्खूँ गज़ल के घाव कुरेदूं , में किया करूं
शब<ref>रात</ref>> मूड में है ताबे-हुनर<ref>कला की उच्चता</ref> है और आप हैं

शब्दार्थ
<references/>