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"बांदी भेजूं हो साहब / हरियाणवी" के अवतरणों में अंतर
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बांदी भेजूं हो साहबा! घर आ तपी रसोई सीली हो रही | बांदी भेजूं हो साहबा! घर आ तपी रसोई सीली हो रही | ||
तुम जीमो रे गौरी म्हारी मात जिमा हमतै पड़ौसिन के घर जीम ख्यां | तुम जीमो रे गौरी म्हारी मात जिमा हमतै पड़ौसिन के घर जीम ख्यां | ||
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16:19, 17 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बांदी भेजूं हो साहब! घर आ ताता सा पाणी सीला हो रहा
तुम न्हाओ रै गौरी म्हारी कंवर नहवा हमतै पड़ौसिन के घर न्हां ल्यां
बांदी भेजूं हो साहबा! घर आ तपी रसोई सीली हो रही
तुम जीमो रे गौरी म्हारी मात जिमा हमतै पड़ौसिन के घर जीम ख्यां