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"तट कै कौन भरोसा / हरिश्चंद्र पांडेय 'सरल'" के अवतरणों में अंतर
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तट कै कौन भरोसा जब हर लहर छुये ढहि जाय, | तट कै कौन भरोसा जब हर लहर छुये ढहि जाय, | ||
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खोलइ कौन झरोखा जब सगरौ अँधियार लखाय। | खोलइ कौन झरोखा जब सगरौ अँधियार लखाय। | ||
पग दुइ पग तौ रेत लगै औ दूरि लगै जस पानी, | पग दुइ पग तौ रेत लगै औ दूरि लगै जस पानी, | ||
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बुद्धि मृगा कै हरि कै लइगै तिस्ना भई सयानी, | बुद्धि मृगा कै हरि कै लइगै तिस्ना भई सयानी, | ||
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दृग कै कौन भरोसा जब रेती कन नीर लखाय। | दृग कै कौन भरोसा जब रेती कन नीर लखाय। | ||
− | + | खोलइ कौन झरोखा जब सगरौ अँधियार लखाय। | |
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आग लगै घर के दियना से धुवइँ धुआँ चहुँ ओर, | आग लगै घर के दियना से धुवइँ धुआँ चहुँ ओर, | ||
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गिन गिन काटौ रैन अँधेरिया तबहुँ न जागै भोर, | गिन गिन काटौ रैन अँधेरिया तबहुँ न जागै भोर, | ||
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पथ कै कौन भरोसा जब हर पग पै पग बिछलाय। | पथ कै कौन भरोसा जब हर पग पै पग बिछलाय। | ||
− | + | खोलइ कौन झरोखा जब सगरौ अँधियार लखाय। | |
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अँधियरिया हम बियहि के लाये पाहुन लागि अँजोरिया, | अँधियरिया हम बियहि के लाये पाहुन लागि अँजोरिया, | ||
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तुहुँका बिपति बिपति यस होये हमैं पियारि बिपतिया, | तुहुँका बिपति बिपति यस होये हमैं पियारि बिपतिया, | ||
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सुख कै कवन भरोसा जब कुसमय देखे कतराय। | सुख कै कवन भरोसा जब कुसमय देखे कतराय। | ||
− | + | खोलइ कौन झरोखा जब सगरौ अँधियार लखाय। | |
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11:26, 28 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
तट कै कौन भरोसा जब हर लहर छुये ढहि जाय,
खोलइ कौन झरोखा जब सगरौ अँधियार लखाय।
पग दुइ पग तौ रेत लगै औ दूरि लगै जस पानी,
बुद्धि मृगा कै हरि कै लइगै तिस्ना भई सयानी,
दृग कै कौन भरोसा जब रेती कन नीर लखाय।
खोलइ कौन झरोखा जब सगरौ अँधियार लखाय।
आग लगै घर के दियना से धुवइँ धुआँ चहुँ ओर,
गिन गिन काटौ रैन अँधेरिया तबहुँ न जागै भोर,
पथ कै कौन भरोसा जब हर पग पै पग बिछलाय।
खोलइ कौन झरोखा जब सगरौ अँधियार लखाय।
अँधियरिया हम बियहि के लाये पाहुन लागि अँजोरिया,
तुहुँका बिपति बिपति यस होये हमैं पियारि बिपतिया,
सुख कै कवन भरोसा जब कुसमय देखे कतराय।
खोलइ कौन झरोखा जब सगरौ अँधियार लखाय।