भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मनुष्य / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ मिश्र 'प्रभात' |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
07:32, 12 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
सूना-सूना हृदय कि जिसका गान खो गया है
बुझा दीप या टूटा तारा,
मरु उदास या सूखी धारा,
वह तममय मंदिर, जिसका
भगवान खो गया है
अपना ही अवसान निराला,
सांस-सांस विध्वंसक ज्वाला,
डगमग-पग राही, जिसका
संधान खो गया है
सूना-सूना हृदय कि जिसका गान खो गया है
