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"स्मृतियाँ मुझ पर निगाह रखती हैं / टोमास ट्रान्सटोमर" के अवतरणों में अंतर

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15:28, 18 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

जून की एक सुबह
यह बहुत जल्दी है जागने के लिए और दुबारा सो जाने के
बहुत देर हो चुकी है
मुझे जाना ही होगा
हरियाली के बीच जो पूरी तरह भरी हुई है स्मृतियों से
स्मृतियाँ -
जो निगाहों से मेरा पीछा करती हैं
वे दिखाई नहीं
घुलमिल जाती हैं अपने पसमंजर में
गिरगिट की तरह

वे मेरे इतने पास हैं
कि चिड़ियों की बहरा कर देनेवाली चहचहाहट के बावजूद
मैं सुन सकता हूँ
उनकी साँसों की आवाज।

(अनुवाद : शिरीष कुमार मौर्य)